सुब्रह्मण्य षष्ठी: जानें कब मनाई जाएगी और पूजा विधि
भगवान कार्तिकेय को समर्पित पर्व
सुब्रह्मण्य षष्ठी का महत्व
यह पर्व हिंदू धर्म में भगवान कार्तिकेय को समर्पित है, जिन्हें मुरुगन और सुब्रह्मण्य के नाम से भी जाना जाता है। सुब्रह्मण्य षष्ठी, जिसे स्कंद षष्ठी भी कहा जाता है, मुख्य रूप से मार्गशीर्ष महीने के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को मनाया जाता है। यह पर्व विशेष रूप से दक्षिण भारत में धूमधाम से मनाया जाता है।
इस दिन भगवान कार्तिकेय की विधिपूर्वक पूजा की जाती है और व्रत का आयोजन किया जाता है। इस दिन पूजा और व्रत करने से जीवन में सुख, समृद्धि और विजय की प्राप्ति होती है। आइए जानते हैं कि इस वर्ष सुब्रह्मण्य षष्ठी कब मनाई जाएगी और पूजा विधि क्या होगी।
शुभ मुहूर्त
मार्गशीर्ष माह के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि 25 नवंबर को रात 10:56 बजे से प्रारंभ होगी और 27 नवंबर को रात 12:01 बजे समाप्त होगी। इस प्रकार, सुब्रह्मण्य षष्ठी का पर्व 26 नवंबर, बुधवार को मनाया जाएगा।
सुब्रह्मण्य षष्ठी पूजा विधि
- सुब्रह्मण्य षष्ठी के दिन प्रातः जल्दी उठकर स्नान करें।
- फिर भगवान स्कंद का ध्यान करके व्रत का संकल्प लें।
- पूजा स्थल की सफाई करें।
- एक चौकी पर भगवान कार्तिकेय की मूर्ति या तस्वीर रखें।
- भगवान कार्तिकेय के साथ शिव परिवार की भी पूजा करें।
- पूजा में उन्हें फूल, चंदन, धूप, दीप और नैवेद्य अर्पित करें।
- फल और मिठाई का भोग लगाएं।
- कार्तिकेय के मंत्रों का जाप करें।
- अंत में आरती करके प्रसाद वितरित करें।