सूर्य देव की पूजा: बारिश में कैसे करें साधना
सूर्य देव की नियमित पूजा का महत्व
सूर्य देव की पूजा से किस्मत जागती है
रविवार को सूर्य देव की पूजा करने से व्यक्ति की सोई हुई किस्मत जागृत होती है। सूर्य देव केवल ब्रह्मांड के निर्माता नहीं हैं, बल्कि नवग्रहों के राजा भी माने जाते हैं। नियमित पूजा से जीवन में सुख और समृद्धि आती है। शास्त्रों के अनुसार, सूर्य की नियमित पूजा से पुण्य की प्राप्ति होती है।
सुबह सूर्योदय के समय स्नान के बाद सूर्य को अर्घ्य देना चाहिए। लेकिन बारिश या कोहरे के कारण यदि सूर्य देव दिखाई न दें, तो उनकी पूजा कैसे करें, इसके बारे में जानने के लिए आगे पढ़ें।
सूर्य पूजा का धार्मिक महत्व
मान्यता है कि भगवान राम, जो सूर्यवंशी थे, प्रतिदिन सूर्य की पूजा करते थे। कहा जाता है कि रावण का वध करने से पहले उन्होंने सूर्य देव का ध्यान किया था।
भगवान कृष्ण के पुत्र सांब ने भी सूर्य की आराधना की थी, जिसके फलस्वरूप उन्हें कुष्ठ रोग से मुक्ति मिली। महाभारत में सूर्य देव ने द्रौपदी की पूजा से प्रसन्न होकर उन्हें अक्षय पात्र दिया था।
अर्घ्य देते समय मंत्र का जप
अगर मौसम खराब है और सूर्य देव के दर्शन नहीं हो पा रहे हैं, तो निराश न हों। पूर्व दिशा की ओर मुख करके तांबे के बर्तन में रोली, लाल पुष्प, अक्षत और शुद्ध जल डालकर सूर्य देव का ध्यान करते हुए अर्घ्य दें। अर्घ्य देते समय भगवान सूर्य के मंत्र का जप करना न भूलें।
सूर्य की कृपा पाने के उपाय
सुख-समृद्धि के लिए हर सुबह सूर्योदय से पहले उठकर स्नान-ध्यान करें और उगते सूर्य को तांबे के लोटे से जल अर्पित करें।
सूर्य देवता को गुड़ का भोग लगाना चाहिए। अर्घ्य के जल में गुड़ मिलाकर अर्पित करें और इसके बाद आदित्य हृदय स्तोत्र का तीन बार पाठ करें।
जल चढ़ाने की विधि
शास्त्रों के अनुसार, सूर्य देव को तीन बार जल चढ़ाने की परंपरा है। पहले एक बार अर्घ्य दें, फिर परिक्रमा करें, फिर से अर्घ्य दें और फिर परिक्रमा करें। इस प्रकार तीन बार अर्घ्य देने के साथ तीन बार परिक्रमा करें।