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सोम प्रदोष व्रत की कथा: एक गरीब ब्राह्मणी की दया और राजकुमार का उद्धार

सोम प्रदोष व्रत की कथा एक गरीब ब्राह्मणी की दया और एक राजकुमार के उद्धार की कहानी है। यह कथा बताती है कि कैसे एक साधारण व्रत ने उनके जीवन को बदल दिया। जानें इस प्रेरणादायक कहानी के माध्यम से भक्ति और दया का महत्व।
 

सोम प्रदोष व्रत कथा

सोम प्रदोष व्रत की कहानी पढ़ें: सोम प्रदोष व्रत की कथा (Som Pradosh Vrat Katha) एक समय की बात है, जब एक गरीब ब्राह्मणी एक शहर में निवास करती थी। उसके पति का निधन हो चुका था, और वह अपने बेटे के साथ जीवन यापन के लिए रोज़ भीख मांगती थी। एक दिन, जब वह घर लौट रही थी, उसे रास्ते में एक घायल लड़का मिला। उसकी दया जाग उठी, और उसने उसे अपने घर ले जाने का निर्णय लिया।


राजकुमार की पहचान

ब्राह्मणी को यह नहीं पता था कि वह लड़का साधारण नहीं, बल्कि विदर्भ राज्य का राजकुमार है। दुश्मन सेना ने उसके राज्य पर आक्रमण कर उसके पिता को बंदी बना लिया था। राजकुमार जान बचाकर भागा था और अब वह ब्राह्मणी के घर में रहने लगा।


गंधर्व कन्या का प्रेम

एक दिन, अंशुमति नाम की एक सुंदर गंधर्व कन्या ने राजकुमार को देखा और उस पर मोहित हो गई। उसने अपने माता-पिता को राजकुमार से मिलवाया, और उन्हें भी लड़का बहुत पसंद आया। इसके बाद, विदर्भ के राजकुमार और गंधर्व कन्या का भव्य विवाह हुआ!


प्रदोष व्रत का प्रभाव

ब्राह्मणी हर सोमवार को प्रदोष व्रत करती थी। उसी व्रत के पुण्य और गंधर्वराज की सेना की सहायता से राजकुमार ने दुश्मनों को विदर्भ से बाहर निकाल दिया। उसने अपना खोया हुआ राज्य पुनः प्राप्त किया और राजा बनकर सुखपूर्वक जीवन बिताने लगा।


ब्राह्मणी का बेटा

राजकुमार ने ब्राह्मणी के बेटे को अपने राज्य में एक उच्च पद प्रदान किया। यह सब ब्राह्मणी द्वारा किए गए सोम प्रदोष व्रत का फल था, जिसने एक गरीब विधवा और उसके बेटे के जीवन को बदल दिया। इसी तरह भोलेनाथ अपने भक्तों के जीवन में परिवर्तन लाते हैं। जो भी सच्चे मन से सोम प्रदोष व्रत करता है, उसके सभी दुख दूर हो जाते हैं। हर हर महादेव!