सोम प्रदोष व्रत: पूजा विधि और शुभ मुहूर्त की जानकारी
भोलेनाथ की पूजा प्रदोष काल में
प्रदोष व्रत भगवान शिव को समर्पित
मार्गशीर्ष मास का पहला प्रदोष व्रत 17 नवंबर को मनाया जाएगा, जो सोमवार को पड़ रहा है। इसे सोम प्रदोष व्रत कहा जाता है। यह व्रत भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए विशेष रूप से फलदायी माना जाता है। धर्म ग्रंथों में प्रदोष व्रत की महिमा का उल्लेख किया गया है। यदि आप इस व्रत को करने की योजना बना रहे हैं, तो यहां इसका महत्व और पूजा का शुभ मुहूर्त बताया गया है।
शुभ मुहूर्त
पंचांग के अनुसार, 17 नवंबर को प्रदोष पूजा का शुभ मुहूर्त शाम 5:27 बजे से लेकर शाम 8:07 बजे तक है। यह प्रदोष काल सूर्यास्त के बाद का समय होता है, जब भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा करना विशेष रूप से शुभ माना जाता है।
प्रदोष व्रत में शिवलिंग पर चढ़ाने की सामग्री
प्रदोष व्रत के दौरान शिवलिंग पर गंगाजल, दूध, दही, शहद और गन्ने के रस से अभिषेक करना चाहिए। इसके साथ ही, 'ॐ नम: शिवाय' मंत्र का जाप करते हुए बिल्व पत्र, धतूरा और अन्य प्रिय वस्तुएं चढ़ाएं। अंत में धूप-दीप जलाकर शिव चालीसा और आरती करें।
प्रदोष काल में पूजा का महत्व
प्रदोष काल में की गई पूजा से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। प्रदोष व्रत के दिन मंदिर में की गई पूजा का फल 100 गुना अधिक मिलता है। इस दिन फलाहार ग्रहण करना चाहिए और अन्न का सेवन नहीं करना चाहिए।
सोम प्रदोष व्रत की विधि
- सुबह स्नान कर हाथ में जल, फूल और अक्षत लेकर व्रत का संकल्प लें।
- घर के मंदिर को साफ कर शाम के समय गोधूलि बेला में दीपक जलाएं।
- भगवान शिव का अभिषेक करें और सबसे पहले शुद्ध जल अर्पित करें।
- फिर दूध, दही, घी, शहद और शक्कर (पंचामृत) से अभिषेक करें।
- हर सामग्री चढ़ाते समय 'ॐ नम: शिवाय' का जाप करें।
- अंत में फिर से शुद्ध जल अर्पित कर चंदन, गुलाल और पुष्प चढ़ाएं।
- बेलपत्र और शमी पत्र अर्पित कर भोग में फल और मिठाई अर्पित करें।
- अंत में भगवान शिव की आरती करें और प्रदोष व्रत की कथा सुनें।
संतान सुख की प्राप्ति
धार्मिक मान्यता के अनुसार, सोम प्रदोष व्रत मानसिक शांति, वैवाहिक सुख और पारिवारिक समृद्धि प्रदान करता है। ऐसा माना जाता है कि इस व्रत को रखने से संतान सुख की प्राप्ति होती है, दांपत्य जीवन खुशहाल रहता है और चंद्र दोष से मुक्ति के लिए भी यह व्रत लाभकारी है।