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स्कंद षष्ठी 2025: जानें पूजा विधि और शुभ मुहूर्त

स्कंद षष्ठी 2025 का पर्व आज 30 जुलाई को मनाया जा रहा है। इस दिन भगवान कार्तिकेय की पूजा का महत्व है। जानें इस दिन की पूजा विधि, नियम और शुभ मुहूर्त के बारे में। धार्मिक मान्यता के अनुसार, इस दिन की पूजा से आत्मविश्वास और शक्ति में वृद्धि होती है। जानें व्रत का पारण कब करना है और क्या हैं इसके नियम।
 

स्कंद षष्ठी का महत्व

स्कंद षष्ठी 2025: आज 30 जुलाई 2025, बुधवार को स्कंद षष्ठी का पर्व मनाया जा रहा है। यह विशेष दिन सावन माह में आता है, जिसे श्रावण स्कंद षष्ठी भी कहा जाता है। इस दिन भगवान शिव और देवी पार्वती के पुत्र भगवान कार्तिकेय की पूजा का महत्व है। कार्तिकेय को देवताओं का सेनापति और युद्ध का देवता माना जाता है, और इन्हें स्कंद के नाम से भी जाना जाता है। इस कारण से इस तिथि को स्कंद षष्ठी कहा जाता है। कई भक्त इस दिन भगवान कार्तिकेय की पूजा करते हैं, जबकि अन्य लोग व्रत रखते हैं।


स्कंद षष्ठी की पूजा का महत्व

धार्मिक मान्यता के अनुसार, जो लोग सच्चे मन से स्कंद षष्ठी के दिन भगवान कार्तिकेय की पूजा करते हैं, उनके आत्मविश्वास, साहस और शक्ति में वृद्धि होती है। इसके अतिरिक्त, यह व्रत विरोधियों से मुक्ति और संतान सुख के लिए भी किया जाता है। आइए जानते हैं श्रावण स्कंद षष्ठी पर भगवान कार्तिकेय की पूजा का शुभ मुहूर्त, विधि, मंत्र और आरती के बारे में।


स्कंद षष्ठी पूजा विधि

स्कंद षष्ठी की पूजा विधि



  • ब्रह्म मुहूर्त में उठें।

  • स्नान आदि कार्य करने के बाद लाल या नारंगी रंग के कपड़े पहनें।

  • घर के मंदिर की सफाई करें और एक चौकी स्थापित करें।

  • चौकी पर भगवान कार्तिकेय की तस्वीर रखें।

  • हाथ में जल या अक्षत लेकर व्रत का संकल्प लें।

  • भगवान को गंगा जल, चंदन, पीले फूल, फल और मिठाई अर्पित करें। इस दौरान मंत्रों का जाप करें।

  • देसी घी का दीपक जलाएं।

  • आरती करके पूजा का समापन करें।

  • व्रत का पारण करने से पहले दान अवश्य करें।


स्कंद षष्ठी व्रत के नियम

स्कंद षष्ठी व्रत के नियम


जो लोग स्कंद षष्ठी का व्रत रखते हैं, वे फल और जल का सेवन कर सकते हैं। लेकिन फलाहार केवल एक बार करें। इसके अलावा, तामसिक भोजन और नकारात्मक चीजों से दूर रहें। दिन में सोने से बचें और किसी से झगड़ा न करें।


स्कंद षष्ठी व्रत का पारण

स्कंद षष्ठी व्रत का पारण कब होगा?


धार्मिक मान्यता के अनुसार, स्कंद षष्ठी के व्रत का पारण अगले दिन भगवान सूर्य को अर्घ्य देने के बाद करना चाहिए। व्रत वाले दिन जो प्रसाद भगवान को अर्पित किया गया है, उसी से व्रत का पारण करें। द्रिक पंचांग के अनुसार, 31 जुलाई को सुबह 05:42 मिनट पर सूर्योदय होगा, जिसके बाद आप व्रत का पारण कर सकते हैं।