हिरोशिमा दिवस: परमाणु हथियारों का वैश्विक परिदृश्य
हिरोशिमा पर परमाणु बम का हमला
6 अगस्त, 1945 को, अमेरिका ने जापान के हिरोशिमा पर पहला परमाणु बम गिराया, जिसे 'लिटिल बॉय' कहा गया। यह बम एक B-29 बमवर्षक द्वारा गिराया गया था और इसके परिणामस्वरूप 140,000 से अधिक लोगों की जान गई। इस वर्ष इस विनाशकारी घटना की 80वीं वर्षगांठ है। हर साल इस दिन को हिरोशिमा दिवस के रूप में मनाया जाता है, जो परमाणु युद्ध के भयानक मानवीय प्रभावों की याद दिलाता है। यह सवाल भी उठाता है कि केवल नौ देशों के पास ही परमाणु हथियार क्यों हैं, जबकि अन्य देशों को ऐसा करने से क्या रोकता है?वर्तमान में, दुनिया के नौ देशों के पास परमाणु हथियार हैं: अमेरिका, रूस, यूके, फ्रांस, चीन, भारत, पाकिस्तान, उत्तर कोरिया और इज़राइल। इनमें से रूस के पास सबसे अधिक, लगभग 5,580 परमाणु हथियार हैं, जबकि अमेरिका के पास 5,044 हैं। ये दोनों देश मिलकर दुनिया के कुल परमाणु शस्त्रागार का लगभग 90% हिस्सा रखते हैं।
कई देशों को परमाणु हथियार विकसित करने से रोकने वाले मुख्य कारणों में अंतर्राष्ट्रीय समझौतों, जैसे परमाणु अप्रसार संधि (NPT), का होना शामिल है। इस संधि के तहत, केवल पांच देशों को आधिकारिक तौर पर परमाणु-हथियार संपन्न माना गया है।
इसके अलावा, परमाणु हथियारों के विकास की उच्च लागत, तकनीकी चुनौतियाँ, और अंतर्राष्ट्रीय प्रतिबंधों का खतरा भी देशों को इस दिशा में बढ़ने से रोकता है। कुछ देश, जैसे कि नाटो के सदस्य, अमेरिका के परमाणु छाते से सुरक्षा का लाभ उठाते हैं।
हिरोशिमा और नागासाकी पर हुए हमलों का विनाशकारी प्रभाव आज भी वैश्विक दृष्टिकोण को प्रभावित करता है। कई देश नैतिक आधार पर परमाणु हथियारों का विरोध करते हैं और निरस्त्रीकरण का समर्थन करते हैं।