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2025 का अद्वितीय सूर्य ग्रहण: जानें इसके महत्व और विशेषताएँ

2025 में 2 अगस्त को होने वाला सूर्य ग्रहण एक अद्वितीय घटना है, जो 6 मिनट के लिए अंधेरा छाएगा। यह ग्रहण न केवल खगोलीय दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि ज्योतिषीय दृष्टिकोण से भी इसका विशेष महत्व है। जानें इस ग्रहण के दौरान अमावस्या की पूजा कैसे की जाएगी और इसके प्रभावों के बारे में।
 

2025 का सूर्य ग्रहण: एक विशेष घटना

सूर्य ग्रहण 2025: 2 अगस्त 2025 को साल का दूसरा पूर्ण सूर्य ग्रहण होने जा रहा है। यह ग्रहण विशेष रूप से महत्वपूर्ण माना जा रहा है क्योंकि इसके दौरान 6 मिनट के लिए अंधेरा छा जाएगा। ऐसा अद्वितीय सूर्य ग्रहण अगले 100 वर्षों में नहीं देखा जाएगा। इस वर्ष का यह दूसरा सूर्य ग्रहण विशेष रूप से चर्चा का विषय बना हुआ है।


दूसरे ग्रहण की विशेषताएँ

क्यों है यह ग्रहण खास?

ज्योतिषियों के अनुसार, इस साल का दूसरा और अंतिम सूर्य ग्रहण 21 सितंबर 2025 को होगा, जो आंशिक होगा। इसकी शुरुआत आश्विन मास की कृष्ण पक्ष अमावस्या की रात 22:59 बजे होगी और यह 22 सितंबर की सुबह 03:23 बजे समाप्त होगा। इस दिन सर्वपितृ अमावस्या भी है, जो इसे और भी महत्वपूर्ण बनाता है।


अमावस्या पर पूजा का महत्व

सूर्य ग्रहण के दौरान अमावस्या की पूजा

हिंदू मान्यताओं के अनुसार, ग्रहण के समय पूजा-पाठ नहीं करना चाहिए। ऐसे में कई लोग चिंतित हैं कि अमावस्या पर श्राद्ध तर्पण कैसे किया जाएगा। लेकिन चिंता की कोई बात नहीं है, क्योंकि यह सूर्य ग्रहण भारत में दिखाई नहीं देगा, इसलिए पूजा-पाठ जारी रखा जा सकता है।


सूर्य ग्रहण का ज्योतिषीय महत्व

ज्योतिषीय दृष्टिकोण से सूर्य ग्रहण

ज्योतिष के अनुसार, सूर्य ग्रहण एक महत्वपूर्ण घटना है, जिसका मानव जीवन और राशियों पर प्रभाव पड़ता है। इसे राहु-केतु के साथ जोड़ा जाता है, जो छाया ग्रह हैं। जब ये सूर्य के साथ मिलते हैं, तो ग्रहण दोष उत्पन्न होता है, जिससे दुर्घटनाएँ, वैवाहिक जीवन में अस्थिरता और पारिवारिक रिश्तों में तनाव की संभावना बढ़ जाती है। 21 सितंबर को होने वाला सूर्य ग्रहण कन्या राशि और फाल्गुनी नक्षत्र में होगा।