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क्या अंतरिक्ष में गर्भावस्था संभव है? शोध से मिले चौंकाने वाले तथ्य

क्या अंतरिक्ष में गर्भावस्था संभव है? यूनिवर्सिटी ऑफ लीड्स के प्रोफेसर अरुण विवियन होल्डन ने इस विषय पर एक महत्वपूर्ण शोध किया है। उनके निष्कर्ष बताते हैं कि अंतरिक्ष में गर्भाधान संभव है, लेकिन प्रसव और नवजात की देखभाल में कई चुनौतियाँ हैं। कॉस्मिक रेडिएशन और माइक्रोग्रैविटी के प्रभावों के कारण यह प्रक्रिया जोखिम भरी हो सकती है। जानें इस शोध के प्रमुख बिंदुओं के बारे में।
 

क्या अंतरिक्ष में गर्भावस्था संभव है?

क्या अंतरिक्ष में गर्भावस्था संभव है: मंगल ग्रह पर मानव मिशन की तैयारी चल रही है, और चंद्रमा तथा मंगल पर मानव बस्तियों का सपना देखा जा रहा है। इस संदर्भ में, वैज्ञानिकों ने अंतरिक्ष में शारीरिक संबंध, गर्भावस्था, प्रसव और बच्चों की देखभाल पर शोध शुरू किया है। यूनिवर्सिटी ऑफ लीड्स के प्रोफेसर एमेरिटस अरुण विवियन होल्डन ने इस विषय पर एक महत्वपूर्ण अध्ययन किया है।


उनकी रिसर्च का शीर्षक 'अंतरिक्ष में गर्भावस्था' है, और इसके निष्कर्ष The Conversation, Science Alert, और Experimental Physiology में प्रकाशित हुए हैं। इस शोध के परिणामों पर सोशल मीडिया पर काफी चर्चा हो रही है। आइए जानते हैं कि प्रोफेसर होल्डन की रिसर्च में क्या जानकारी दी गई है।



गर्भावस्था संभव, लेकिन प्रसव नहीं

प्रोफेसर होल्डन की रिसर्च अंतरिक्ष यात्रा के दौरान गर्भावस्था और बच्चे के जन्म के जोखिमों पर केंद्रित है। यह विशेष रूप से माइक्रोग्रैविटी और गैलेक्टिक कॉस्मिक रेज के प्रभावों पर ध्यान देती है। अध्ययन के अनुसार, गर्भावस्था के लिए आवश्यक तकनीकें जैसे निषेचन, भ्रूण का गर्भाशय में प्रत्यारोपण और विकास धरती पर विकसित हो चुकी हैं। हालांकि, अंतरिक्ष में गर्भाधान संभव है, लेकिन प्रसव और बच्चे की देखभाल करना कठिन है।


माइक्रोग्रैविटी में प्रसव की चुनौतियाँ

रिसर्च में बताया गया है कि अंतरिक्ष की माइक्रोग्रैविटी में शारीरिक संबंध बनाना और बच्चे का जन्म होना मुश्किल है। गर्भ में भ्रूण का विकास तो संभव है, लेकिन प्रसव और नवजात की देखभाल में कठिनाई हो सकती है। अंतरिक्ष में तरल पदार्थ और मानव शरीर की स्थिति स्थिर नहीं रहती, जिससे प्रसव और दूध पिलाना चुनौतीपूर्ण हो सकता है।


कॉस्मिक रेडिएशन का खतरा

अध्ययन में यह भी बताया गया है कि पृथ्वी का वायुमंडल भ्रूण और नवजात की रक्षा करता है, लेकिन अंतरिक्ष में यह सुरक्षा नहीं मिलती। कॉस्मिक किरणें भ्रूण के लिए खतरा बन सकती हैं, और प्रसव के दौरान नवजात की मृत्यु या विकलांगता का खतरा हो सकता है। गर्भावस्था के पहले महीने में भ्रूण की कोशिकाएं तेजी से विभाजित होती हैं, और एक कॉस्मिक किरण घातक साबित हो सकती है।


मानसिक स्वास्थ्य पर प्रभाव

रिसर्च के अनुसार, कॉस्मिक किरणों के प्रभाव से समय से पहले प्रसव की संभावना बढ़ जाती है, जो नवजात के लिए खतरनाक हो सकता है। अंतरिक्ष में जन्मा बच्चा माइक्रोग्रैविटी में विकसित होगा, जिससे उसकी शारीरिक और मानसिक स्थिति प्रभावित हो सकती है। नवजात की मांसपेशियों का विकास भी प्रभावित हो सकता है, जिससे उसे सिर उठाने और चलने में कठिनाई हो सकती है।


चूहों पर किए गए प्रयोग

प्रोफेसर होल्डन की रिसर्च मंगल ग्रह जैसे लंबे अंतरिक्ष मिशनों के लिए महत्वपूर्ण है। यह चूहों के भ्रूणों पर किए गए प्रयोगों पर आधारित है, जिसमें यह पाया गया कि माइक्रोग्रैविटी में भ्रूण का प्रारंभिक विकास संभव है, लेकिन पूर्ण गर्भावस्था और जन्म संभव नहीं है। वर्तमान में अंतरिक्ष में मानव गर्भावस्था पर कोई प्रत्यक्ष अध्ययन नहीं किया गया है।