सुनामी: जानें इसके कारण, पहचान और सुरक्षा उपाय
सुनामी क्या है?
नई दिल्ली: हाल ही में रूस के कमचटका प्रायद्वीप में 8.8 की तीव्रता वाला भूकंप आया, जिसके परिणामस्वरूप लगभग 4 मीटर ऊँची सुनामी लहरें उठीं। इस घटना ने तटीय क्षेत्रों में हड़कंप मचा दिया और जापान तथा अमेरिका के कुछ हिस्सों में लोगों को सुरक्षित स्थानों पर जाने के लिए चेतावनी जारी की गई।
यह घटना हमें यह सोचने पर मजबूर करती है कि सुनामी वास्तव में क्या होती है, इसके कारण क्या हैं और इससे कैसे बचा जा सकता है। आइए, सुनामी से संबंधित महत्वपूर्ण जानकारी पर नज़र डालते हैं।
सुनामी के कारण
सुनामी क्या होती है?
सुनामी एक जापानी शब्द है, जिसमें 'सू' का अर्थ समुद्र और 'नामी' का अर्थ लहरें है। ये लहरें समुद्र के भीतर किसी बड़ी हलचल जैसे भूकंप, ज्वालामुखी विस्फोट या भूस्खलन के कारण उत्पन्न होती हैं और तट की ओर तेजी से बढ़ती हैं। यह सामान्य समुद्री लहरों से भिन्न होती हैं, क्योंकि ये एक विशाल ऊर्जा के विस्फोट का परिणाम होती हैं।
सुनामी के प्रमुख कारण
समुद्री भूकंप:
जब समुद्र के नीचे टेक्टोनिक प्लेटें टकराती हैं या खिसकती हैं, तो समुद्र का पानी ऊपर उठता है और बड़ी लहरें बनती हैं।
ज्वालामुखी विस्फोट:
समुद्र के भीतर या किनारे पर ज्वालामुखी विस्फोट भी सुनामी का कारण बन सकता है।
भूमि खिसकना:
जब समुद्र के अंदर अचानक जमीन खिसकती है, तो पानी में तेज हलचल होती है, जिससे विशाल लहरें उत्पन्न होती हैं।
उल्कापिंड का गिरना:
यदि कोई उल्का या धूमकेतु समुद्र में गिरता है, तो इससे भी सुनामी जैसी लहरें उत्पन्न हो सकती हैं।
सुनामी की पहचान और सुरक्षा
सुनामी आने के संकेत:
यदि समुद्र अचानक पीछे हट जाए और समुद्र का तल दिखाई देने लगे, तो यह सुनामी का संकेत हो सकता है। इसके अलावा, पक्षियों और जानवरों का असामान्य व्यवहार भी एक चेतावनी हो सकती है।
सुनामी की गति और ऊँचाई:
सुनामी की गति समुद्र में 700-800 किमी/घंटा तक हो सकती है। किनारे के पास, गति कम हो जाती है लेकिन लहरें 10 से 18 मीटर तक ऊँची हो सकती हैं।
क्या सुनामी की भविष्यवाणी की जा सकती है?
भविष्यवाणी करना मुश्किल है, लेकिन वैज्ञानिक भूकंप के तुरंत बाद सुनामी चेतावनी जारी कर सकते हैं। अमेरिका, जापान और भारत में सुनामी पूर्व चेतावनी प्रणाली मौजूद हैं।
सुनामी से बचने के उपाय:
तटीय क्षेत्रों में अलर्ट सिस्टम पर ध्यान दें, समुद्र की हलचल को नजरअंदाज न करें, ऊँचाई वाले क्षेत्रों में शरण लें और सरकारी दिशा-निर्देशों का पालन करें।
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