Kaalchakra: जानें पेड़-पौधों की परिक्रमा के लाभ और नियम
परिक्रमा का महत्व
Kaalchakra Today 25 August 2025: आपने कभी न कभी देखा होगा कि लोग मंदिरों में देवी-देवताओं की मूर्तियों और पेड़-पौधों के चारों ओर चक्कर लगाते हैं। इसे शास्त्रों में परिक्रमा कहा जाता है, जो प्रदक्षिणा के समान होती है और इसे शुभ माना जाता है। मंदिरों को सकारात्मक और आध्यात्मिक ऊर्जा का केंद्र माना जाता है, और देवी-देवताओं के चारों ओर परिक्रमा करने से अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है। इसके अलावा, कुछ पेड़-पौधों की परिक्रमा भी शुभ मानी जाती है, जिससे वहां की सकारात्मक ऊर्जा व्यक्ति के शरीर और मन में प्रवेश करती है।
शुभ पेड़-पौधों की परिक्रमा
आज के कालचक्र में प्रश्न कुंडली विशेषज्ञ पंडित सुरेश पांडेय आपको बताएंगे कि किन पेड़-पौधों की परिक्रमा करना शुभ होता है और इसके नियम और लाभ क्या हैं।
पीपल का पेड़
पीपल के पेड़ की छाया में ऑक्सीजन की प्रचुरता होती है, जिससे वात, पित्त और कफ का संतुलन बना रहता है। मंगल मुहूर्त में पीपल के पेड़ की तीन बार परिक्रमा करने और जल चढ़ाने से दरिद्रता और दुर्भाग्य का नाश होता है।
बरगद का पेड़
बरगद एक विशाल और दीर्घजीवी वृक्ष है, जिसे त्रिमूर्ति और प्रकृति के सृजन का प्रतीक माना जाता है। इसकी छाल में विष्णु, जड़ में ब्रह्मा और शाखाओं में शिव का वास होता है। बरगद की जड़ में जल देने और इसकी परिक्रमा करने से पुण्य की प्राप्ति होती है, जिससे मन और शरीर शुद्ध होते हैं।
तुलसी का पौधा
तुलसी का पौधा सुख, संपत्ति, धन, ज्ञान और स्वास्थ्य का प्रतीक है। इसके औषधीय गुणों के कारण तुलसी की परिक्रमा करने से मन शांत रहता है और इसके आसपास की सकारात्मक ऊर्जा प्राप्त होती है।
परिक्रमा के नियम
- परिक्रमा नंगे पैर और गीले कपड़ों में करनी चाहिए, जिससे सकारात्मक ऊर्जा अधिक मात्रा में शरीर में प्रवेश कर सके।
- प्रतिमा के दाएं हाथ से परिक्रमा करनी चाहिए।
- परिक्रमा करते समय मन को चंचल नहीं होना चाहिए, बल्कि मंत्र या नाम का जाप करते रहना चाहिए।
अधिक जानकारी के लिए वीडियो देखें
यदि आप परिक्रमा से जुड़े अन्य नियमों के बारे में जानना चाहते हैं, तो ऊपर दिए गए वीडियो को देख सकते हैं।