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Navratri Day 9: जानें मां सिद्धिदात्री की पूजा विधि और महत्व

नवरात्रि के नवें दिन मां सिद्धिदात्री की पूजा का विशेष महत्व है। इस दिन की गई पूजा साधकों को अद्भुत शक्तियों और मनोकामनाओं की प्राप्ति कराती है। जानें मां सिद्धिदात्री का दिव्य स्वरूप, पूजा विधि और उनके द्वारा मिलने वाले फल। इस लेख में हम मां सिद्धिदात्री की आराधना के महत्व और उनके मंत्रों के बारे में भी चर्चा करेंगे।
 

Navratri Day 9: मां सिद्धिदात्री की पूजा का महत्व

आज नवरात्रि का नवां दिन है, जो देवी दुर्गा के नवें स्वरूप मां सिद्धिदात्री को समर्पित है। यह दिन साधकों के लिए विशेष फलदायी माना जाता है, क्योंकि मां सिद्धिदात्री को सभी प्रकार की सिद्धियों की अधिष्ठात्री देवी माना गया है। शास्त्रों के अनुसार, जो भी श्रद्धा और विधिपूर्वक इनकी आराधना करता है, उसे अद्भुत शक्तियों और इच्छित फलों की प्राप्ति होती है।


मार्कण्डेय पुराण में उल्लेख है कि मां सिद्धिदात्री से अणिमा, महिमा, गरिमा, लघिमा, प्राप्ति, प्राकाम्य, ईशित्व और वशित्व जैसी आठ सिद्धियां प्राप्त होती हैं। मां की कृपा से साधक संसारिक बंधनों से मुक्त होकर मोक्ष की ओर अग्रसर होता है।


पौराणिक महत्व

देवी पुराण के अनुसार, भगवान शिव ने मां सिद्धिदात्री की तपस्या कर इनसे आठ सिद्धियां प्राप्त की थीं। माता की कृपा से ही भगवान शिव अर्धनारीश्वर रूप में प्रकट हुए थे। नवरात्रि के इस दिन की गई पूजा साधक को आत्मज्ञान, चेतना और अलौकिक शक्तियों की प्राप्ति कराती है।


मां सिद्धिदात्री का दिव्य स्वरूप

मां सिद्धिदात्री का स्वरूप अत्यंत शांति और तेज से भरा हुआ है। वे सिंह पर सवार या कमल के आसन पर विराजमान होती हैं। इनके चार हाथों में चक्र, गदा, शंख और कमल सुशोभित रहते हैं। देवी श्वेत वस्त्र धारण करती हैं और इन्हें देवी सरस्वती का एक रूप माना जाता है, जो ज्ञान, संगीत और वाणी की अधिष्ठात्री हैं।


मां सिद्धिदात्री की पूजा से मिलने वाले फल

मां सिद्धिदात्री की उपासना करने वाले भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। उन्हें जीवन में यश, बल, कीर्ति, धन और मानसिक शांति की प्राप्ति होती है। उनकी पूजा साधक को संसार की क्षणभंगुरता का बोध कराकर मोक्ष के मार्ग पर अग्रसर करती है।


पूजा की विधि

सबसे पहले कलश की स्थापना करें और उसमें देवी-देवताओं का आह्वान करें।


मां को रोली, मोली, कुमकुम, पुष्प और चुनरी अर्पित करें।


हलुआ, पूरी, चना, खीर और नारियल का भोग लगाएं।


मां के मंत्रों का श्रद्धा से जाप करें।


कन्या पूजन का विशेष महत्व है, जिसमें 2 से 10 वर्ष की नौ कन्याओं को आमंत्रित कर उन्हें भोजन कराएं।


मंत्र और साधना का महत्व

मां सिद्धिदात्री की पूजा से साधक को धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष—चारों पुरुषार्थों की प्राप्ति होती है। इस दिन जाप किया गया यह मंत्र विशेष फलदायी माना गया है:


सिद्धगन्धर्वयक्षाद्यैरसुरैरमरैरपि,
सेव्यमाना सदा भूयात सिद्धिदा सिद्धिदायिनी.


नवरात्रि के नौवें दिन की गई मां सिद्धिदात्री की साधना साधक को न केवल सांसारिक सुख देती है, बल्कि उसे आध्यात्मिक उन्नति की राह पर भी ले जाती है। श्रद्धा, भक्ति और विधिपूर्वक की गई पूजा निश्चित ही सिद्धि और शांति का मार्ग प्रशस्त करती है।