बकरीद 2025 के लिए राजस्थान के बकरों की अंतरराष्ट्रीय मांग में तेजी
राजस्थान के बकरों की बढ़ती मांग
बकरीद 2025 के नजदीक आते ही, राजस्थान के बकरों की मांग खाड़ी देशों में तेजी से बढ़ रही है। पिछले 10 दिनों में जयपुर एयरपोर्ट से 9350 बकरों को विशेष कार्गो उड़ानों के माध्यम से संयुक्त अरब अमीरात (UAE) भेजा गया है। इस अवसर पर शेखावाटी, सिरोही और बीकानेरी नस्लों के बकरों को प्राथमिकता दी जा रही है, जो अपनी गुणवत्ता और स्वास्थ्य के लिए विश्वभर में प्रसिद्ध हैं।
अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बकरों का निर्यात
यह पहली बार है जब जयपुर और अजमेर जैसे शहरों से इतनी बड़ी संख्या में बकरों का अंतरराष्ट्रीय निर्यात किया गया है। 1 मई 2025 से शुरू हुए इस अभियान के तहत बकरीद से पहले बकरों की बड़ी खेप UAE के रस-अल-खैमाह में भेजी गई है।
हर उड़ान में सैकड़ों बकरों का निर्यात
हर फ्लाइट में सैकड़ों बकरे
बकरीद के चलते बकरों की मांग में उछाल के बीच, जयपुर से उड़ने वाली हर कार्गो फ्लाइट में 450 से 950 बकरों को भेजा गया है। इनका कुल वजन 500 किलो से लेकर 15,000 किलो तक रहा है। यह दर्शाता है कि राजस्थान के बकरों की अंतरराष्ट्रीय बाजार में भी महत्वपूर्ण भूमिका है।
निर्यात का हॉटस्पॉट बनता जयपुर
पहली खेप 1 मई को हुई रवाना
राजस्थान की राजधानी जयपुर अब बकरीद पर कुर्बानी के बकरों के निर्यात का प्रमुख केंद्र बनता जा रहा है। 1 मई 2025 को पहली कार्गो फ्लाइट रवाना हुई थी और उसके बाद से निरंतर फ्लाइट्स के जरिए बकरों को भेजा जा रहा है। विशेषज्ञों का मानना है कि आने वाले वर्षों में जयपुर Goat Export Hub बन सकता है।
अजमेर मंडी से दुबई को बकरों का ऑर्डर
अजमेर मंडी से दुबई को मिला 3000 बकरों का ऑर्डर
राजस्थान की सबसे बड़ी बकरा मंडी अजमेर भी इस आपूर्ति में पीछे नहीं है। यहां से दुबई को 3,000 बकरों का ऑर्डर प्राप्त हुआ है। इस प्रकार, अंतरराष्ट्रीय व्यापार में अजमेर ने भी महत्वपूर्ण योगदान दिया है। मंडियों में मेवाड़ी, सोjat, गुज्जरी और अजमेरी नस्लों के बकरों को विदेशी खरीदारों ने पसंद किया है।
बकरों की विशेषताएँ
बकरों में क्या है खास
शेखावाटी नस्ल: यह नस्ल दूध और मांस उत्पादन दोनों के लिए जानी जाती है और इसकी रोग प्रतिरोधक क्षमता इसे खाड़ी देशों में लोकप्रिय बनाती है।
सिरोही नस्ल: सिरोही बकरियां सूखे और कठोर वातावरण में भी जीवित रह सकती हैं। ये भी ड्यूल परपज़ ब्रीड हैं, जिनसे दूध और मांस दोनों मिलता है।
बीकानेरी नस्ल: बीकानेरी बकरों की बीमारियों से लड़ने की क्षमता उन्हें गर्म और शुष्क क्षेत्रों में भी पनपने में मदद करती है। इनका उपयोग दूध, मांस और ऊन के लिए किया जाता है।
राजस्थान की पशुपालन इंडस्ट्री को वैश्विक पहचान
राजस्थान की पशुपालन इंडस्ट्री को मिलेगा वैश्विक बढ़ावा
बकरीद के इस बड़े निर्यात अभियान ने स्पष्ट कर दिया है कि राजस्थान का पशुपालन क्षेत्र अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान बना रहा है। इससे न केवल स्थानीय किसानों और व्यापारियों की आय में वृद्धि होगी, बल्कि राज्य की अर्थव्यवस्था को भी नई ऊंचाइयों तक पहुंचाया जा सकेगा।