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अहंकार: ओशो के दृष्टिकोण से समझें इसकी जड़ें और समाधान

इस लेख में हम ओशो के दृष्टिकोण से अहंकार की जड़ों और इसके कारणों को समझेंगे। जानें कि कैसे असुरक्षा, सामाजिक तुलना और भौतिकता अहंकार को बढ़ावा देते हैं। ओशो के अनुसार, अहंकार से मुक्ति के लिए स्व-ज्ञान और ध्यान आवश्यक हैं। यह लेख आपको अहंकार को समझने और इससे निपटने के उपायों पर प्रकाश डालेगा।
 

अहंकार की जड़ें और ओशो का दृष्टिकोण


अहंकार मानव जीवन में एक ऐसी भावना है जो व्यक्तिगत और सामाजिक जीवन में कई समस्याएं उत्पन्न कर सकती है। आज के समय में यह एक गंभीर मुद्दा बन चुका है। प्रसिद्ध आध्यात्मिक गुरु ओशो ने इस विषय पर गहराई से विचार किया है। उनके अनुसार, अहंकार केवल आत्म-प्रेम की भावना नहीं है, बल्कि यह हमारी मानसिक संरचना और जीवन के अनुभवों का परिणाम है।


अहंकार के कारण

<a style="border: 0px; overflow: hidden" href=https://youtube.com/embed/YBUXd5NCp9g?autoplay=1&mute=1><img src=https://img.youtube.com/vi/YBUXd5NCp9g/hqdefault.jpg alt=""><span><div class="youtube_play"></div></span></a>" title="अहंकार का त्याग कैसे करें | ओशो के विचार | Osho Hindi Speech | अहंकार क्या है और इसे कैसे पराजित करे" width="1250">


ओशो के अनुसार, अहंकार का मुख्य कारण असुरक्षा और आत्म-संदेह है। जब कोई व्यक्ति अपने भीतर किसी कमी का अनुभव करता है, जैसे प्यार या सम्मान की कमी, तो वह दूसरों से खुद को श्रेष्ठ साबित करने की कोशिश करता है। यह प्रक्रिया धीरे-धीरे अहंकार का रूप ले लेती है। इस दौरान व्यक्ति अपने वास्तविक मूल्य और क्षमताओं का सही आकलन नहीं कर पाता।


सामाजिक तुलना और प्रतिस्पर्धा

ओशो का कहना है कि सामाजिक तुलना और प्रतिस्पर्धा भी अहंकार के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। आजकल लोग अक्सर अपने जीवन की तुलना दूसरों से करते हैं, खासकर सोशल मीडिया के प्रभाव के कारण। यह तुलना व्यक्ति में असंतोष और अहंकार दोनों को जन्म देती है। जब कोई व्यक्ति खुद को दूसरों से बेहतर साबित करने में लगा रहता है, तो उसका अहंकार बढ़ता है और मानसिक शांति बाधित होती है।


भूतकाल और बचपन का प्रभाव

ओशो ने यह भी बताया कि भूतकाल के अनुभव और बचपन की परिस्थितियां अहंकार के निर्माण में महत्वपूर्ण होती हैं। माता-पिता की अत्यधिक आलोचना या अपर्याप्त प्यार से बच्चे में आत्म-सम्मान की कमी हो सकती है। जैसे-जैसे वह बड़ा होता है, यह कमी अहंकार के रूप में प्रकट होती है।


भौतिकता का प्रभाव

एक और कारण है भौतिकता और बाहरी सफलता का मोह। आज के समय में लोग अक्सर संपत्ति और प्रतिष्ठा के पीछे भागते हैं। ओशो का मानना है कि जब व्यक्ति अपने मूल्य को केवल बाहरी उपलब्धियों से मापता है, तो यह अहंकार को बढ़ावा देता है। इससे वह अपने अंदर की सच्चाई से कट जाता है और दूसरों के साथ रिश्तों में भी दूरी पैदा करता है।


अहंकार से मुक्ति के उपाय

ओशो इस बात पर जोर देते हैं कि अहंकार से मुक्त होने के लिए स्व-ज्ञान, ध्यान और आत्म-संवेदनशीलता आवश्यक हैं। व्यक्ति को समझना होगा कि उसकी असली शक्ति और मूल्य बाहरी दुनिया की तुलना में आंतरिक संतुलन और समझ में निहित है। नियमित ध्यान, आत्म-निरीक्षण और दूसरों के प्रति सहानुभूति विकसित करना अहंकार को कम करने के प्रभावी उपाय हैं।