उत्तरकाशी में बादल फटने से आई बाढ़: जानें राहत कार्यों की स्थिति
उत्तरकाशी में भूस्खलन का कहर
उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले में मंगलवार को बादल फटने के कारण भयंकर भूस्खलन हुआ, जिससे कई घर बह गए और कम से कम चार लोगों की जान चली गई। यह घटना गंगोत्री मार्ग पर स्थित धाराली गांव में हुई, जो एक प्रमुख तीर्थ स्थल है। यहां पर कई होटल, रेस्तरां और होमस्टे हैं। इस घटना के बाद राज्य में भारी बारिश को लेकर चेतावनी जारी की गई है.
राहत कार्य में जुटी टीमें
स्थानीय प्रशासन, सेना, NDRF और ITBP की टीमें राहत और बचाव कार्य में सक्रिय हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस हादसे पर गहरा शोक व्यक्त किया है और पीड़ितों को हर संभव सहायता का आश्वासन दिया है। अब तक कई लोगों को मलबे से निकाला जा चुका है, जबकि कुछ लोग अभी भी दबे होने की आशंका है.
फ्लैश फ्लड का प्रभाव
धाराली गांव के पास खीर गंगा नदी के जलग्रहण क्षेत्र में बादल फटने से अचानक बाढ़ आ गई, जिसने कई घरों, होटलों और होमस्टे को बहा दिया। उत्तरकाशी के जिलाधिकारी प्रशांत आर्य ने बताया कि प्रारंभिक रिपोर्ट के अनुसार चार लोगों की मौत हो चुकी है। स्थानीय निवासी राजेश पंवार ने कहा कि लगभग 10 से 12 लोग मलबे में दबे हो सकते हैं.
सेना और ITBP की सक्रियता
सेना की एक टीम हर्षिल से राहत कार्य के लिए धाराली पहुंच गई है। ITBP की 12वीं बटालियन से 16 सदस्यीय टीम भी मौके पर तैनात की गई है। प्रशासन प्रभावित क्षेत्र में फंसे लोगों को सुरक्षित निकालने का प्रयास कर रहा है.
NDRF की नई पहल
इस गंभीर स्थिति के मद्देनजर, NDRF ने पहली बार 'कैडावर डॉग्स' को तैनात करने का निर्णय लिया है। इन विशेष प्रशिक्षित कुत्तों को दिल्ली से एयरलिफ्ट कर उत्तराखंड लाया जा रहा है ताकि मलबे में दबे लोगों को खोजा जा सके. NDRF की तीन टीमें भी प्रभावित क्षेत्र की ओर रवाना की गई हैं.
प्रधानमंत्री का शोक
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस हादसे पर गहरा दुख व्यक्त किया और कहा कि उत्तराखंड के उत्तरकाशी में हुई जनहानि अत्यंत दुखद है। उन्होंने राहत और बचाव कार्य के लिए सभी संभव प्रयास किए जाने की बात कही.
भारी बारिश का अलर्ट
मौसम विभाग ने उत्तराखंड के कई हिस्सों में अगले कुछ दिनों तक भारी बारिश का अलर्ट जारी किया है। राज्य प्रशासन ने लोगों से अपील की है कि वे पहाड़ी क्षेत्रों की यात्रा टालें और सतर्क रहें, विशेषकर गंगोत्री, यमुनोत्री और केदारनाथ जैसे ऊंचाई वाले इलाकों में.