ऋषि पंचमी: सप्तऋषियों की पूजा से पापों से मुक्ति का अवसर
जानें पूजा मुहूर्त और विधि
ऋषि पंचमी का त्यौहार
ऋषि पंचमी का पर्व हर साल हिन्दू पंचांग के भाद्रपद महीने की शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को मनाया जाता है। यह त्यौहार गणेश चतुर्थी के बाद आता है। इस दिन सप्तऋषियों की पूजा का विशेष महत्व है, जो मुख्यतः महिलाएं करती हैं। पंचांग के अनुसार, भाद्रपद माह की शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि 27 अगस्त को दोपहर 3:44 बजे से शुरू होकर 28 अगस्त को शाम 5:56 बजे समाप्त होगी। इस प्रकार, ऋषि पंचमी का पर्व 28 अगस्त को मनाया जाएगा। इस दिन व्रत करने से अनजाने में किए गए पापों से मुक्ति मिलती है और मृत्यु के बाद मोक्ष की प्राप्ति होती है।
पूजा मुहूर्त
ऋषि पंचमी पूजा का मुहूर्त सुबह 11:05 बजे से दोपहर 1:39 बजे तक रहेगा।
ऋषि पंचमी का महत्व
यह व्रत मुख्यतः महिलाओं द्वारा रखा जाता है और इसे मासिक धर्म के दौरान रजस्वला दोष से मुक्ति के लिए किया जाता है। इस दिन गंगा नदी में स्नान करने का विशेष महत्व है, जिससे साधक के पाप समाप्त होते हैं और सप्तऋषियों का आशीर्वाद प्राप्त होता है। यदि गंगा स्नान संभव न हो, तो घर पर गंगाजल मिलाकर स्नान करने से भी शुभ फल मिलते हैं।
ऋषि पंचमी पूजा विधि
- ऋषि पंचमी के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करें।
- घर और मंदिर की सफाई करें। पूजा स्थान पर एक चौकी बिछाकर उस पर साफ लाल या पीला कपड़ा बिछाएं।
- सप्तऋषियों की तस्वीर स्थापित करें और कलश में गंगाजल भरकर रखें।
- आप चाहें तो अपने गुरु की तस्वीर भी स्थापित कर सकते हैं। सप्तऋषियों को अर्ध्य दें और धूप-दीप दिखाएं।
- पूजा में फल, फूल, घी, पंचामृत आदि अर्पित करें। सप्तऋषियों के मंत्रों का जप करें और अंत में अपनी गलतियों के लिए क्षमा याचना करें।
- प्रसाद वितरित करें और बड़े-बुजुर्गों का आशीर्वाद लें।