किशोरावस्था में भावनाओं को समझने में मदद कैसे करें
किशोरावस्था एक महत्वपूर्ण चरण है, जिसमें बच्चे तेजी से विकसित होते हैं और नई भावनाओं का सामना करते हैं। इस लेख में, हम जानेंगे कि माता-पिता और अभिभावक कैसे अपने किशोरों की भावनाओं को समझने और उन्हें सहारा देने में मदद कर सकते हैं। धैर्य, सुरक्षित माहौल, और भावनाओं को पहचानने में मदद करने के उपायों पर चर्चा की जाएगी। यह जानकारी आपको अपने किशोर के साथ बेहतर संवाद स्थापित करने में मदद करेगी।
Jun 24, 2025, 16:08 IST
किशोरावस्था का महत्व
किशोरावस्था जीवन का एक महत्वपूर्ण चरण है, जिसमें बच्चे न केवल शारीरिक रूप से बल्कि मानसिक और भावनात्मक रूप से भी तेजी से विकसित होते हैं। इस दौरान, वे कई नई भावनाओं और अनुभवों का सामना करते हैं, जिनके बारे में उन्हें पूरी जानकारी नहीं होती। अक्सर, वे आलोचना, अस्वीकृति या निराशा का सामना करते हैं, जिससे उन्हें यह समझने में कठिनाई होती है कि ये अनुभव क्या हैं। जब आप उनसे पूछते हैं, 'क्या हुआ?', तो उनका सामान्य उत्तर होता है, 'मैं ठीक हूं।' असल में, वे खुद भी अपनी भावनाओं को व्यक्त करने में असमर्थ होते हैं। ऐसे में, एक अभिभावक या मित्र के रूप में, आप उनकी सहायता कैसे कर सकते हैं?
किशोरावस्था में भावनात्मक बदलाव
ऐसा क्यों होता है?
किशोरावस्था में बच्चों का मस्तिष्क पूरी तरह से विकसित नहीं होता, खासकर वह हिस्सा जो भावनाओं को समझने और व्यक्त करने में मदद करता है। इसके अलावा, हार्मोनल परिवर्तन भी उनके मूड में उतार-चढ़ाव लाते हैं। वे अपनी पहचान बनाने की कोशिश कर रहे होते हैं और इस प्रक्रिया में उन्हें कई नई भावनाओं और सामाजिक स्थितियों का सामना करना पड़ता है। अक्सर, उन्हें लगता है कि कोई उन्हें समझ नहीं रहा है, और वे अपनी भावनाओं को शब्दों में व्यक्त करने में कठिनाई महसूस करते हैं।
माता-पिता और अभिभावकों के लिए सुझाव
धैर्य और सुनने की कला
किशोरावस्था के दौरान बच्चों को धैर्य और समझ की आवश्यकता होती है। यह महत्वपूर्ण है कि आप उनकी उलझनों को समझें और उनसे तुरंत उत्तर की अपेक्षा न करें। जब वे बात करें, तो उन्हें ध्यान से सुनें और उनकी आंखों में देखें। सीधे 'क्या हुआ?' पूछने के बजाय, आप 'आज तुम्हारा दिन कैसा रहा?' जैसे सवाल पूछ सकते हैं।
सुरक्षित माहौल बनाना
एक सुरक्षित माहौल प्रदान करना भी आवश्यक है। उन्हें यह महसूस कराएं कि वे किसी भी विषय पर आपसे खुलकर बात कर सकते हैं। उनकी भावनाओं पर तुरंत प्रतिक्रिया न दें, क्योंकि इससे वे और संकोच में पड़ सकते हैं। विश्वास बनाना सबसे महत्वपूर्ण है।
भावनाओं को समझने में मदद
उन्हें अपनी भावनाओं को पहचानने और नाम देने में मदद करें। जैसे, 'क्या तुम परेशान हो?' या 'क्या तुम्हें गुस्सा आ रहा है?' उन्हें यह समझाएं कि उदासी, गुस्सा या भ्रमित होना सामान्य है।
सहारा और मार्गदर्शन
अंत में, उन्हें निरंतर सहारा और मार्गदर्शन दें। यदि आपको लगता है कि वे बहुत परेशान हैं, तो किसी काउंसलर से मदद लेने का सुझाव देने में संकोच न करें। किशोरावस्था एक चुनौतीपूर्ण समय हो सकता है, लेकिन आपका प्यार और समझ उन्हें इस दौर से गुजरने में मदद कर सकता है।