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खरमास: संयम और स्वास्थ्य का समय

खरमास एक महत्वपूर्ण अवधि है जब जीवन की गति धीमी करने की सलाह दी जाती है। इस दौरान खानपान में संयम रखने की परंपरा है, जिसमें उड़द की दाल और राई का सेवन नहीं करने की बात कही जाती है। जानें कि यह धार्मिक मान्यता के साथ-साथ स्वास्थ्य और आयुर्वेद की दृष्टि से भी महत्वपूर्ण क्यों है। इस लेख में हम खरमास के नियमों, खानपान में बदलाव और इसके पीछे के वैज्ञानिक कारणों पर चर्चा करेंगे।
 

खरमास का महत्व और इसकी परंपरा

हिंदू पंचांग के अनुसार, खरमास वह समय होता है जब जीवन की गति को धीमा करने की सलाह दी जाती है। इस अवधि में न केवल विवाह या गृह प्रवेश जैसे शुभ कार्यों को टाला जाता है, बल्कि खानपान में भी संयम रखने की परंपरा है। विशेष रूप से उड़द की दाल और राई का सेवन नहीं करने की बात कही जाती है। यह जानना जरूरी है कि क्या यह केवल धार्मिक मान्यता है या इसके पीछे स्वास्थ्य और आयुर्वेद की ठोस सोच भी है।


खरमास की अवधि और इसका महत्व

खरमास वह समय है जब सूर्य धनु या मीन राशि में प्रवेश करता है। ज्योतिष के अनुसार, यह अवधि साल में दो बार आती है और लगभग एक महीने तक चलती है। धार्मिक ग्रंथों में इसे संयम, आत्मचिंतन और साधना के लिए उपयुक्त बताया गया है। इसी कारण शुभ कार्यों को टालने की परंपरा बनी है।


खानपान में बदलाव की परंपरा

इस अवधि में परंपरागत मान्यताओं के अनुसार, तला-भुना, भारी और देर से पचने वाला भोजन, और अत्यधिक गर्म तासीर वाले खाद्य पदार्थों से बचना चाहिए। ऐसा भोजन आलस्य और मानसिक अस्थिरता को बढ़ा सकता है, जो संयम की भावना के विपरीत है।


उड़द की दाल से परहेज के कारण

आयुर्वेद के अनुसार, उड़द की दाल भारी, गर्म तासीर वाली और पचने में अधिक समय लेने वाली होती है। खरमास के दौरान पाचन शक्ति सामान्य से कमजोर मानी जाती है, जिससे गैस, अपच और पेट में भारीपन जैसी समस्याएं बढ़ सकती हैं।


राई के सेवन पर रोक

राई या सरसों की प्रकृति उष्ण होती है। आयुर्वेद विशेषज्ञों के अनुसार, यह शरीर की गर्मी बढ़ा सकती है और पाचन तंत्र को उत्तेजित कर सकती है। खरमास में जब शरीर को शांत रखने की आवश्यकता होती है, तब राई का अधिक उपयोग असंतुलन पैदा कर सकता है।


आधुनिक जीवन में खरमास के नियमों का महत्व

आधुनिक जीवनशैली में पाचन से जुड़ी समस्याएं आम हैं। खरमास के नियम हमें अपने शरीर की सुनने का अवसर देते हैं। स्वास्थ्य विशेषज्ञों का मानना है कि इस दौरान सादा भोजन, कम मसाले, और ताजा घर का खाना अपनाने से पेट को आराम मिलता है।


संयम और संतुलन का महत्व

खरमास के नियमों का मतलब पूर्ण प्रतिबंध नहीं है, बल्कि संयम और संतुलन है। यदि व्यक्ति अपनी सेहत और जरूरतों को समझते हुए हल्का आहार अपनाता है, तो इसका सकारात्मक असर शरीर और मन दोनों पर पड़ सकता है।