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गंगा दशहरा: नियम और महत्व

गंगा दशहरा, हिन्दू धर्म का एक महत्वपूर्ण पर्व है, जो मां गंगा के धरती पर अवतरण का प्रतीक है। इस दिन विशेष पूजा, स्नान और दान का महत्व है। जानें इस पर्व पर क्या करना चाहिए और किन कार्यों से बचना चाहिए, ताकि आप मां गंगा की कृपा प्राप्त कर सकें।
 

गंगा दशहरा का महत्व

गंगा दशहरा के नियम: गंगा दशहरा, हिन्दू धर्म का एक अत्यंत पवित्र और महत्वपूर्ण पर्व है, जिसे ज्येष्ठ मास की शुक्ल दशमी तिथि को श्रद्धा के साथ मनाया जाता है। मान्यता है कि इसी दिन मां गंगा स्वर्ग से धरती पर आई थीं, जिससे मानवता को पापों से मुक्ति मिली। यह पर्व धार्मिक, आध्यात्मिक और सामाजिक दृष्टि से भी महत्वपूर्ण है।


गंगा दशहरा पर क्या करें?

गंगा या किसी पवित्र नदी में स्नान करें – इससे शारीरिक और मानसिक शुद्धि होती है।


गंगा जल से देवी-देवताओं का अभिषेक करें – इससे घर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।


गाय, ब्राह्मण और जरूरतमंदों को दान दें – अन्न, वस्त्र, पंखा, जल पात्र आदि का दान शुभ माना जाता है।


गंगा स्तोत्र और दशहरा की कथा का पाठ करें – इससे मन को शांति और पुण्य की प्राप्ति होती है।


गृह शुद्धि के लिए घर में गंगा जल छिड़कें – इससे नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है।


गंगा दशहरा पर क्या न करें?

गंगा या किसी पवित्र नदी में अपवित्र वस्तुएं न डालें – यह धार्मिक दृष्टि से अशुभ है।


मांस-मदिरा का सेवन न करें – यह दिन पूर्ण सात्विकता का प्रतीक है।


किसी से झगड़ा, कटु वचन या निंदा न करें – ऐसा करने से पुण्य का क्षय होता है।


शाम के समय नदी किनारे गंदगी न फैलाएं – यह पर्यावरण और धर्म दोनों के विरुद्ध है।


गंगा दशहरा का पर्व आध्यात्मिक शुद्धि और प्रकृति से जुड़ाव का दिन है। इन सरल नियमों का पालन कर आप अपने जीवन में सुख, शांति और समृद्धि ला सकते हैं।