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गुरु पूर्णिमा 2025: ज्ञान और आचार्य की महत्ता

गुरु पूर्णिमा 2025 एक महत्वपूर्ण तिथि है, जो गुरु की महत्ता और ज्ञान के प्रकाश को दर्शाती है। इस दिन गुरु पूजा का विधान है और यह हमें अपने आचार्य का सम्मान करने की प्रेरणा देता है। जानें इस दिन का महत्व और गुरु की परंपरा के बारे में।
 

गुरु पूर्णिमा का महत्व

गुरु पूर्णिमा 2025: ब्रह्मर्षि नारद सभी लोकों के आचार्य माने जाते हैं। इस सृष्टि में भगवान शेष जीवों के आचार्य हैं। भगवान विष्णु, माता लक्ष्मी और अन्य देवताओं का पालन करते हैं। जब संहार का समय आता है, तो भगवान शिव शेष को अपने गले में सुरक्षित रखते हैं। शेष, जिसका अर्थ है वह जो शिष्य को ज्ञान प्रदान करता है, अज्ञान के अंधकार को दूर करता है। जब विष्णु विश्राम करते हैं, तो शेष उन्हें आराम देने के लिए स्थिर रहते हैं। इस दौरान सृष्टि का पालन भगवान शिव करते हैं।


गुरु की परंपरा और शिक्षा

शिक्षा का महत्व:
विष्णु के विश्राम के समय, शिष्य को अपने गुरु का सम्मान करना चाहिए। गुरु पूर्णिमा का अर्थ केवल वही नहीं है जो टेलीविजन पर दिखाया जाता है। शिष्य का संबंध शेष से है, और शेष ही गुरु हैं। सनातन परंपरा में नानक देव जैसे गुरु हुए हैं, जिनकी शिष्य परंपरा ने एक नया पंथ स्थापित किया।

गुरुपूर्णिमा एक महत्वपूर्ण तिथि है, जिसे लोग अपने तरीके से व्याख्यायित करते हैं। आधुनिक संचार माध्यमों ने इस परंपरा को भ्रामक बना दिया है। शिक्षक और गुरु में अंतर है; शिक्षक पाठ्यक्रम का ज्ञान देता है, जबकि गुरु अज्ञान को दूर करता है।


गुरु पूर्णिमा का वैज्ञानिक दृष्टिकोण


गुरु पूर्णिमा आषाढ़ मास की पूर्णिमा को मनाई जाती है। इस दिन गुरु पूजा का विधान है। यह दिन महाभारत के रचयिता कृष्ण द्वैपायन व्यास का जन्मदिन भी है। उन्हें आदिगुरु कहा जाता है।

गुरु का अर्थ अंधकार से प्रकाश की ओर ले जाने वाला होता है। शास्त्रों में कहा गया है कि गुरु की कृपा के बिना कुछ भी संभव नहीं है।


गुरु की परिभाषा और गुण

गुरु को वह कहा जाता है जो अज्ञान का निवारण करता है। शास्त्रों में गुरु के गुणों का वर्णन किया गया है। एक अच्छे गुरु में सदाचार, ज्ञान और शील होना चाहिए।

गुरु की महत्ता को समझना आवश्यक है। गुरु केवल एक शिक्षक नहीं, बल्कि एक मार्गदर्शक होते हैं।


गुरु पूर्णिमा का संदेश


गुरु पूर्णिमा पर हमें अपने गुरु का सम्मान करना चाहिए और उनके ज्ञान का अनुसरण करना चाहिए। यह दिन हमें याद दिलाता है कि ज्ञान की प्राप्ति के लिए गुरु का होना आवश्यक है।