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गुरु पूर्णिमा की कथा: वेदव्यास जी का महत्व और उनकी शिक्षाएं

गुरु पूर्णिमा 2025 का पर्व हमें याद दिलाता है कि गुरु केवल शिक्षक नहीं, बल्कि जीवन के मार्गदर्शक होते हैं। इस दिन महर्षि वेदव्यास का जन्मदिन मनाया जाता है, जिन्हें सनातन धर्म का पहला गुरु माना जाता है। इस लेख में हम गुरु पूर्णिमा की पौराणिक कथा, वेदव्यास जी की तपस्या और उनके ज्ञान के महत्व के बारे में जानेंगे। जानें क्यों इस दिन उनकी पूजा की जाती है और गुरु के प्रति श्रद्धा कैसे प्रकट की जाती है।
 

गुरु पूर्णिमा की कथा: वेदव्यास जी का योगदान

गुरु पूर्णिमा की कथा 2025: वेदव्यास जी को क्यों माना जाता है सनातन धर्म का पहला गुरु: गुरु पूर्णिमा का पर्व हर साल आषाढ़ शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा को मनाया जाता है। यह दिन केवल गुरु के प्रति श्रद्धा प्रकट करने का अवसर नहीं है, बल्कि महर्षि वेदव्यास के जन्मदिन के रूप में भी महत्वपूर्ण है। वेदव्यास जी को सनातन धर्म का पहला गुरु माना जाता है, इसलिए इस दिन को व्यास पूर्णिमा भी कहा जाता है।


यदि आप गुरु पूर्णिमा के इतिहास और वेदव्यास जी की कथा के रहस्यों के बारे में जानना चाहते हैं, तो यह लेख आपके लिए है।


गुरु पूर्णिमा की पौराणिक कथा

गुरु पूर्णिमा की कथा महर्षि वेदव्यास के जन्म से शुरू होती है। कहा जाता है कि वे भगवान विष्णु के अंश के रूप में धरती पर आए थे। उनके पिता ऋषि पराशर और माता सत्यवती थीं। बचपन से ही वेदव्यास जी का अध्यात्म में गहरा रुचि थी। उन्होंने प्रभु के दर्शन की इच्छा जताई और वन में तपस्या करने का निर्णय लिया।


हालांकि, माता सत्यवती ने पहले मना किया, लेकिन बेटे की दृढ़ इच्छा के आगे झुक गईं। उन्होंने शर्त रखी कि जब भी घर की याद आएगी, वे लौट आएंगे। इसके बाद वेदव्यास जी वन में चले गए और कठोर तपस्या की।


तपस्या का फल

वेदव्यास जी की तपस्या इतनी प्रभावशाली थी कि उन्हें संस्कृत में अद्भुत ज्ञान प्राप्त हुआ। उन्होंने चारों वेदों का विस्तार किया—ऋग्वेद, यजुर्वेद, सामवेद और अथर्ववेद। इसके अलावा, उन्होंने महाभारत जैसे महाकाव्य की रचना की, जो आज भी धर्म, नीति और जीवन के गूढ़ रहस्यों का भंडार है।


उन्होंने अठारह महापुराणों और ब्रह्मसूत्र की भी रचना की। उनकी विद्वता और तपस्या के कारण उन्हें अमरता का वरदान मिला। मान्यता है कि वे आज भी किसी न किसी रूप में इस धरती पर विद्यमान हैं।


गुरु पूर्णिमा पर वेदव्यास जी की पूजा का महत्व

गुरु पूर्णिमा की कथा केवल एक ऐतिहासिक घटना नहीं है, बल्कि यह एक आध्यात्मिक संदेश भी है। वेदव्यास जी को गुरु इसलिए माना जाता है क्योंकि उन्होंने ज्ञान को व्यवस्थित किया और उसे जन-जन तक पहुंचाया। उन्होंने न केवल वेदों को विभाजित किया, बल्कि उन्हें समझने योग्य भी बनाया।


इसलिए गुरु पूर्णिमा के दिन उनकी पूजा विधिपूर्वक की जाती है। इस दिन शिष्य अपने गुरु को नमन करते हैं, उनके चरणों में पुष्प अर्पित करते हैं और उनके बताए मार्ग पर चलने का संकल्प लेते हैं।


गुरु पूर्णिमा की कथा 2025 में महर्षि वेदव्यास के जन्म और उनके तपस्वी जीवन की गाथा जुड़ी है। वेदव्यास जी ने वेदों का विस्तार किया, महाभारत और पुराणों की रचना की और सनातन धर्म को एक नई दिशा दी। इसलिए गुरु पूर्णिमा पर उनकी पूजा की जाती है और उन्हें सनातन धर्म का पहला गुरु माना जाता है।