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तुलसी पूजन दिवस 2025: महत्व, विधि और सावधानियाँ

तुलसी पूजन दिवस हर साल 25 दिसंबर को मनाया जाता है, जो भारतीय संस्कृति और पर्यावरण के महत्व को दर्शाता है। 2025 में यह पर्व विशेष रूप से श्रद्धा और परंपरा के साथ मनाया जाएगा। जानें इस दिन की सही तिथि, पूजा की विधि और कुछ महत्वपूर्ण सावधानियाँ। यह पर्व न केवल आस्था का प्रतीक है, बल्कि यह हमें स्वास्थ्य और संतुलन की भी याद दिलाता है।
 

तुलसी पूजन दिवस का महत्व

भारत में हर वर्ष 25 दिसंबर को तुलसी पूजन दिवस मनाया जाता है। वर्ष 2025 में भी यह पर्व श्रद्धा और परंपरा के साथ मनाया जाएगा। यह दिन केवल पूजा तक सीमित नहीं है, बल्कि यह भारतीय संस्कृति, पर्यावरण और स्वास्थ्य के मूल्यों को भी उजागर करता है। सही तिथि, पूजा की विधि और आवश्यक सावधानियों को जानना महत्वपूर्ण है ताकि पूजा विधिपूर्वक संपन्न हो सके।


तुलसी पूजन दिवस 2025 की तिथि

धार्मिक पंचांग के अनुसार, 2025 में तुलसी पूजन दिवस 25 दिसंबर, गुरुवार को मनाया जाएगा। पौष मास के कृष्ण पक्ष की दशमी तिथि 24 दिसंबर की शाम से शुरू होती है, लेकिन हिंदू परंपरा में उदय तिथि को मान्यता दी जाती है।


धार्मिक विद्वानों के अनुसार, जिस दिन सूर्योदय के समय तिथि विद्यमान हो, वही दिन पूजा के लिए श्रेष्ठ माना जाता है। इसलिए, 25 दिसंबर को तुलसी पूजन करना उचित रहेगा।


तुलसी का धार्मिक महत्व

तुलसी को केवल औषधीय पौधा नहीं माना जाता, बल्कि इसे देवी स्वरूप और भगवान विष्णु से जुड़ा पवित्र प्रतीक माना गया है। पुराणों में इसे हरिप्रिया कहा गया है, जो भगवान विष्णु को प्रिय है।


आयुर्वेद विशेषज्ञों का मानना है कि तुलसी में रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने वाले तत्व होते हैं, इसलिए इसे जीवनशैली का हिस्सा बनाने पर जोर दिया जाता है।


तुलसी पूजन की विधि

तुलसी पूजन के लिए जटिल अनुष्ठानों की आवश्यकता नहीं होती। श्रद्धा और नियमों का पालन ही पर्याप्त होता है।


• सुबह स्नान कर स्वच्छ वस्त्र पहनें
• तुलसी के पौधे के आसपास सफाई करें
• शुद्ध जल अर्पित करें
• कुमकुम या रोली से तिलक लगाएं
• फूल और दीपक अर्पित करें
• फल या मिश्री का भोग लगाएं
• तीन या सात बार परिक्रमा करें


धार्मिक आचार्यों के अनुसार, मन में शांति और सकारात्मक भाव रखते हुए पूजा करने से इसका प्रभाव अधिक होता है।


तुलसी पूजन दिवस का इतिहास

तुलसी पूजन दिवस की औपचारिक शुरुआत 2014 में हुई थी। इसका उद्देश्य नई पीढ़ी को भारतीय परंपराओं से जोड़ना और तुलसी के धार्मिक व वैज्ञानिक महत्व को समाज तक पहुंचाना था।


पर्यावरण विशेषज्ञों का मानना है कि इस तरह के पर्व लोगों को पौधे लगाने और प्रकृति से जुड़ने के लिए प्रेरित करते हैं, जो आज के समय में बेहद जरूरी है।


पूजन के दौरान ध्यान देने योग्य बातें

तुलसी की पूजा करते समय कुछ नियमों का पालन आवश्यक है।


• रविवार और एकादशी के दिन पत्ते न तोड़ें
• रात के समय तुलसी को जल न दें
• बिना स्नान किए पौधे को न छुएं


धार्मिक मान्यता है कि इन नियमों का पालन करने से पूजा का पूर्ण फल प्राप्त होता है।


तुलसी पूजन दिवस का आधुनिक महत्व

आज जब जीवन तेजी से बदल रहा है, तुलसी पूजन दिवस हमें संतुलन, स्वास्थ्य और पर्यावरण की अहमियत याद दिलाता है। यह पर्व आस्था के साथ-साथ वैज्ञानिक सोच को भी मजबूती देता है और परिवार को एक साथ जोड़ने का अवसर प्रदान करता है।