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पंडित नेहरू का योगदान: भारत के किसानों और गांवों की कहानी

पंडित जवाहरलाल नेहरू का योगदान भारतीय कृषि और किसानों के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण रहा है। उनके प्रधानमंत्री काल में कई योजनाएँ बनाई गईं, जिनका आज भी प्रभाव देखा जा सकता है। नेहरू जी ने हरित क्रांति की नींव रखी, जिससे भारत खाद्य सुरक्षा में आत्मनिर्भर बना। इस लेख में जानें कि कैसे नेहरू जी ने किसानों के मुद्दों को समझा और उनके अधिकारों के लिए संघर्ष किया।
 

पंडित नेहरू की छवि और उनके योगदान


लेखक: अरविंद कुमार सिंह : हाल के समय में, पंडित जवाहर लाल नेहरू की छवि को लेकर कई भ्रामक कहानियाँ फैलाई जा रही हैं। उनके जीवन को लेकर सोशल मीडिया पर कई गलत धारणाएँ प्रचलित हैं। 27 मई, 1964 को उनका निधन हो गया, लेकिन उनके बारे में यह धारणा बनाई जा रही है कि वे केवल अभिजात्य वर्ग के थे और उन्हें किसानों और ग्रामीणों की समस्याओं का कोई ज्ञान नहीं था।


अरविंद कुमार सिंह


वास्तव में, नेहरू जी के प्रधानमंत्री बनने के दौरान देश के विकास की जो योजनाएँ बनाई गईं, उनका आज भी प्रभाव देखा जा सकता है। उनके दृष्टिकोण के कारण हरित क्रांति की नींव रखी गई, जिससे आज भारत खाद्य सुरक्षा में आत्मनिर्भर बन चुका है।


आजादी के समय, भारत की कृषि स्थिति बहुत खराब थी। नेहरू जी और सरदार पटेल ने मिलकर कृषि सुधारों की दिशा में कई महत्वपूर्ण कदम उठाए। उनके प्रयासों के कारण भारत आज धान, गेहूं और अन्य फसलों का प्रमुख उत्पादक बन गया है।


नेहरू जी का राजनीतिक जीवन किसान आंदोलनों से शुरू हुआ था। उन्होंने अवध किसान सभा के साथ जुड़कर किसानों के मुद्दों को समझा और उनके अधिकारों के लिए संघर्ष किया।


1947 में, जब देश की जनसंख्या 35-36 करोड़ थी, तब खाद्य उत्पादन की स्थिति बहुत खराब थी। नेहरू जी ने कहा था कि कृषि सबसे महत्वपूर्ण है और इसके विकास के लिए कई योजनाएँ बनाई गईं।


उनके प्रधानमंत्री काल में कई बड़ी परियोजनाओं की शुरुआत हुई, जैसे भाखड़ा नांगल और दामोदर घाटी, जो कृषि विकास के लिए महत्वपूर्ण साबित हुईं।


नेहरू जी ने 1960 में देश का पहला कृषि विश्वविद्यालय पंतनगर में स्थापित किया। उनके समय में कृषि उत्पादन में भी उल्लेखनीय वृद्धि हुई।


हालांकि, 1964 में जब लाल बहादुर शास्त्री प्रधानमंत्री बने, तब भी भारत को खाद्य आयात करना पड़ रहा था। लेकिन नेहरू जी की नीतियों के कारण, 1970-71 तक भारत ने खाद्य उत्पादन में आत्मनिर्भरता हासिल कर ली।


नेहरू जी ने 14 मंत्रियों में कई गैर-कांग्रेसी नेताओं को शामिल किया, जो उनके राष्ट्र निर्माण के दृष्टिकोण को दर्शाता है।


उनकी नीतियों के कारण आज भारत खाद्य उत्पादन में आत्मनिर्भर है और हम विश्व में एक प्रमुख खाद्य उत्पादक देश बन चुके हैं।


हालांकि, हाल के किसान आंदोलनों ने यह दर्शाया है कि किसानों के मुद्दों पर अभी भी बहुत कुछ किया जाना बाकी है।


(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं। यह उनके निजी विचार हैं।)