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पापांकुश एकादशी: महत्व और लाभ

पापांकुश एकादशी का व्रत भगवान विष्णु को समर्पित है और इसका विशेष महत्व है। इस दिन व्रत करने से सभी पापों का नाश होता है और पुण्य फल की प्राप्ति होती है। धार्मिक मान्यता के अनुसार, एकादशी व्रत करने से पितर नीच योनि से मुक्त होते हैं और परिवार में सुख-शांति बनी रहती है। इस लेख में जानें एकादशी के लाभ, दान और मंत्रों का जाप कैसे करें।
 

एकादशी का महत्व

सनातन धर्म में एकादशी तिथि का विशेष महत्व है, जो भगवान विष्णु को समर्पित है। साल में कुल 24 एकादशी तिथियाँ होती हैं, जिनमें से प्रत्येक महीने में दो एकादशी आती हैं। इस वर्ष पापांकुश एकादशी 3 अक्टूबर 2025 को मनाई जाएगी। इसका अर्थ है 'पाप' और 'अंकुश', जिसका मतलब है पापों को रोकना। इस दिन व्रत करने से सभी पापों का नाश होता है और पुण्य फल की प्राप्ति होती है। एकादशी के दिन कुछ विशेष उपाय करने से, जो गौ-दान और सुवर्ण-दान से भी अधिक पुण्य देते हैं।


एकादशी व्रत के लाभ

धार्मिक मान्यता के अनुसार, एकादशी व्रत करने से पितर नीच योनि से मुक्त होते हैं और परिवार में सुख-शांति बनी रहती है। इस व्रत से धन-धान्य की प्राप्ति भी होती है।


एकादशी का दान

प्राचीन काल में राजा नहुष, अंबरीष और राजा गाधी जैसे व्यक्तियों ने एकादशी का व्रत किया और उन्हें पृथ्वी का समस्त ऐश्वर्य प्राप्त हुआ। भगवान शिव ने नारद से कहा है कि इस व्रत से मनुष्य के सात जन्मों के पाप समाप्त हो जाते हैं। एकादशी के दिन गौ-दान का अनंत पुण्य होता है।


मंत्रों का जाप

एकादशी के दिन शाम को भगवान विष्णु को दिया जलाकर श्री विष्णु सहस्त्र नाम का पाठ करें। यदि विष्णु सहस्त्र नाम नहीं हो, तो 10 माला गुरुमंत्र का जाप करें। यदि घर में झगड़े होते हैं, तो झगड़े शांत होने का संकल्प लेकर विष्णु सहस्त्र नाम का पाठ करें।


भगवान विष्णु के सहस्त्र नाम

ॐ नमो भगवते वासुदेवाय नमः


ॐ विश्वं विष्णु: वषट्कारो भूत-भव्य-भवत-प्रभुः।


भूत-कृत भूत-भृत भावो भूतात्मा भूतभावनः।


पूतात्मा परमात्मा च मुक्तानां परमं गतिः।


अव्ययः पुरुष साक्षी क्षेत्रज्ञो अक्षर एव च।


योगो योग-विदां नेता प्रधान-पुरुषेश्वरः।


नारसिंह-वपुः श्रीमान केशवः पुरुषोत्तमः।


सर्वः शर्वः शिवः स्थाणु: भूतादि: निधि: अव्ययः।


संभवो भावनो भर्ता प्रभवः प्रभु: ईश्वरः।


स्वयंभूः शम्भु: आदित्यः पुष्कराक्षो महास्वनः।