पौष मास की पुत्रदा एकादशी: जानें तिथि और महत्व
पुत्रदा एकादशी का महत्व
नई दिल्ली - हिंदू धर्म में हर महीने शुक्ल और कृष्ण पक्ष में आने वाली एकादशी का व्रत विशेष महत्व रखता है। ऐसा माना जाता है कि इस व्रत को करने से भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त होती है, जिससे घर में लक्ष्मी का वास, धन-समृद्धि और खुशहाली बनी रहती है। इस संदर्भ में, 2025 की अंतिम एकादशी, जो पौष मास की शुक्ल पक्ष की पुत्रदा एकादशी है, 30 दिसंबर 2025 को मनाई जाएगी।
पुत्रदा एकादशी क्या है?
पुत्रदा एकादशी का व्रत साल में दो बार आता है—एक बार सावन में और दूसरी बार पौष माह में। धार्मिक मान्यता के अनुसार, इस व्रत से संतान सुख, संतान के स्वास्थ्य और उन्नति का आशीर्वाद मिलता है। जिन दंपतियों को संतान की इच्छा है, वे श्रद्धा से यह व्रत कर सकते हैं।
पुत्रदा एकादशी 2025: तिथि और शुभ समय
पंचांग के अनुसार, एकादशी तिथि का आरंभ 30 दिसंबर को सुबह 7:50 बजे से होगा और इसका समापन 31 दिसंबर को सुबह 5:00 बजे तक रहेगा। व्रत खोलने का समय 31 दिसंबर को दोपहर 1:26 बजे से 3:31 बजे तक बताया गया है।
साल की अंतिम एकादशी पर करें ये 4 काम
– पीपल के नीचे तेल का दीया जलाएं और “ॐ नमो नारायणाय नमः” का जप करें—इससे जीवन में समृद्धि आती है।
– भगवान विष्णु को केले का भोग लगाएं और घी की रोटी पर गुड़ रखकर गाय को खिलाएं—इससे धन-धान्य बढ़ने की मान्यता है।
– भगवान विष्णु का पंचामृत से अभिषेक करें—इससे काम में तरक्की, व्यापार में लाभ और बाधाएं दूर होने की मान्यता है।
– शाम के समय तुलसी के पास दीपक जलाएं—इससे घर की संपत्ति में बरकत का विश्वास किया जाता है।