प्रधानमंत्री मोदी की नामीबिया यात्रा: भारत-अफ्रीका संबंधों में नई ऊर्जा
प्रधानमंत्री मोदी का नामीबिया दौरा
प्रधानमंत्री मोदी का नामीबिया दौरा: बुधवार को, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपनी पांच देशों की यात्रा के अंतिम चरण में नामीबिया का दौरा किया। यह यात्रा ऐतिहासिक है क्योंकि यह उनके लिए इस अफ्रीकी राष्ट्र की पहली यात्रा है। विंडहोक में पारंपरिक रीति-रिवाजों के साथ उनका स्वागत किया गया, जहां उन्होंने नामीबियाई ढोल बजाकर वहां की सांस्कृतिक परंपरा में भाग लिया।
भारतीय प्रधानमंत्री की तीसरी यात्रा
मीडिया रिपोर्टों के अनुसार, यह किसी भारतीय प्रधानमंत्री की नामीबिया में तीसरी यात्रा है, जबकि मोदी की यह पहली आधिकारिक यात्रा है। उन्हें यह निमंत्रण नामीबिया की राष्ट्रपति नेटुम्बो नंदी-नदैतवा द्वारा दिया गया था। इस यात्रा का उद्देश्य दोनों देशों के बीच संबंधों को नई दिशा देना है, जिसके तहत व्यापार, रक्षा, ऊर्जा, शिक्षा और वन्यजीव संरक्षण जैसे महत्वपूर्ण विषयों पर द्विपक्षीय वार्ता की जाएगी।
भारत-अफ्रीका संबंधों का विस्तार
भारत-अफ्रीका संबंधों के नए आयाम: यात्रा के दौरान, प्रधानमंत्री मोदी देश के संस्थापक और पहले राष्ट्रपति डॉ. सैम नुजोमा को श्रद्धांजलि देंगे, जिन्होंने नामीबिया के स्वतंत्रता संग्राम में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। इसके अलावा, उनके नामीबियाई संसद में भाषण देने की संभावना है, जिसमें वे भारत-अफ्रीका संबंधों और सहयोग के नए आयामों पर चर्चा कर सकते हैं।
संबंधों को मजबूती प्रदान करना
संबंधों को और करेगा मजबूत: प्रधानमंत्री मोदी की यह यात्रा भारत-अफ्रीका संबंधों को और मजबूत करने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम मानी जा रही है। नामीबिया, जो भारत के साथ पारंपरिक रूप से मित्रवत संबंध रखता है, हाल ही में भारतीय चीता परियोजना में भी भागीदार रहा है। इस सहयोग से पर्यावरण और वन्यजीव संरक्षण में दोनों देशों के बीच रणनीतिक भागीदारी बढ़ी है।
घाना से शुरू हुई यात्रा
घाना से हुई यात्रा की शुरुआत: इस बहुपरकारी यात्रा की शुरुआत प्रधानमंत्री ने घाना से की थी, इसके बाद वे त्रिनिदाद और टोबैगो, अर्जेंटीना और ब्राजील भी गए। यह दौरा भारत की वैश्विक भूमिका और विभिन्न क्षेत्रों में साझेदारियों को मजबूत करने के उद्देश्य से किया गया है। प्रधानमंत्री मोदी की नामीबिया यात्रा से न केवल दोनों देशों के आपसी संबंध मजबूत होंगे, बल्कि अफ्रीकी महाद्वीप में भारत की कूटनीतिक पहुंच और प्रभाव को भी नया बल मिलेगा।