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बाबा नीम करोली महाराज की पुण्यतिथि: एक श्रद्धांजलि

बाबा नीम करोली महाराज की पुण्यतिथि 11 सितंबर को मनाई जाती है। इस लेख में उनके जीवन, शिक्षाओं और उनके योगदान पर चर्चा की गई है। बाबा ने कहा था कि ईश्वर और प्रकृति एक हैं, और उनकी भविष्यवाणियाँ आज भी प्रासंगिक हैं। जानें उनके आश्रमों और उनके अनुयायियों के बारे में, और कैसे वे आज भी लोगों को प्रेरित करते हैं।
 

बाबा नीम करोली महाराज का जीवन और शिक्षाएं


लखनऊ। बाबा ने 1971 में कहा था कि ईश्वर और प्रकृति एक हैं। जो प्रकृति को नष्ट करेगा, उसे ईश्वर भी नष्ट कर देंगे। आजकल हिमालय में यही स्थिति देखने को मिल रही है। उनकी यह भविष्यवाणी आज सच होती दिख रही है। बाबा का मानना था कि मानव को ईश्वर का सेवक मानना चाहिए। उत्तर भारत के प्रसिद्ध संत बाबा नीम करोली महाराज जी की पुण्यतिथि 11 सितंबर को मनाई जाती है, जो पितृ पक्ष में विशेष महत्व रखती है। बाबा का जन्म 1900 में फिरोजाबाद के अकबरपुर गांव में हनुमान जयंती के दिन हुआ था।


नीम करोली बाबा का असली नाम श्री लक्ष्मी नारायण शर्मा था। उनके दो पुत्र और एक पुत्री गिरिजा देवी हैं, जो वर्तमान में आगरा में रहती हैं। उनका मानना है कि बाबा केवल उनके पिता नहीं, बल्कि जगत पिता थे। नीम करोली बाबा ने नैनीताल के कैंची धाम में अधिक समय बिताया।


इस धाम का निर्माण कार्य बाबा ने 15 जून 1964 को शुरू किया था। बाबा के पिछले जन्म में वे फलाहारी बाबा के रूप में जाने जाते थे, जो हनुमान जी के अनन्य भक्त थे। नीम करोली बाबा का निधन 11 सितंबर 1973 को वृंदावन के श्री रामकृष्ण मिशन अस्पताल में हुआ। उनके चार आश्रम हैं, जहां उनके भस्म अवशेष रखे गए हैं।


पहला आश्रम नीम करोली स्थान है, दूसरा वृंदावन, तीसरा कैंची धाम और चौथा लखनऊ का हनुमान सेतु मंदिर है। ये सभी स्थान जागृति और सिद्धि के केंद्र हैं। बाबा का अयोध्या आना-जाना था और उनके संपर्क में कई महात्मा थे।


गोरखपुर के पीठाधीश्वर योगी अवैद्यनाथ भी बाबा के स्थान पर जाते थे और उनके विकास में सहयोग करते थे। नीम करोली बाबा गृहस्थ थे और दिखावे से दूर रहते थे। आजकल के बाबाओं में साधना की कमी है और वे प्रबंधन के कार्यों में लगे हुए हैं।


हम आम जनता से अनुरोध करते हैं कि भगवान को पाने के लिए सबसे पहले हनुमान जी का सहारा लें। हनुमान जी महाराज अपने आप में पूर्ण गुरु हैं। यदि आप वैष्णो, गणेश, शंकर या मां दुर्गा के भक्त बनना चाहते हैं, तो पहले गुरुदेव हनुमान जी के शरण में जाएं।


हम नीम करोली बाबा के समकालीन संतों की आराधना से मार्ग प्राप्त कर सकते हैं। इस अवसर पर हम उनके बताए गए मार्ग पर चलने का संकल्प लेते हैं और सनातन धर्म की रक्षा के लिए कार्य करने का प्रण लेते हैं।
जय हिंद जय भारत
सनातन धर्म जय हमारा भारतीय संविधान
गुरु देवम शरणम गच्छामिमातृ पितृ देवो भव