भारत में सरकारी अधिकारियों का सेवा विस्तार: एक नई परंपरा
सेवा विस्तार की नई परंपरा
भारत सरकार के उच्च पदस्थ अधिकारी अब रिटायरमेंट के बाद भी सक्रिय रहते हैं। उनके लिए पहले से ही सेवा विस्तार की योजनाएं बनाई जाती हैं। ग्रेट इंडियन एक्सटेंशन प्लान के तहत, अधिकारी रिटायर नहीं होते हैं, और यदि वे रिटायर हो जाते हैं, तो उनके लिए अन्य अच्छे अवसर सुनिश्चित किए जाते हैं। हाल ही में केंद्रीय गृह सचिव को एक वर्ष का सेवा विस्तार प्रदान किया गया है।
पहले सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीशों को रिटायर होने के बाद अच्छे पदों पर नियुक्त किया जाता था। लेकिन अब राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के अध्यक्ष का पद भी उनसे दूर हो गया है। पहले रिटायर चीफ जस्टिस को वहां नियुक्त किया जाता था, लेकिन जस्टिस अरुण मिश्रा के बाद यह परंपरा टूट गई है और अब राजनीतिक नियुक्तियों का चलन बढ़ गया है।
पूर्व मुख्य न्यायाधीशों का नया ठिकाना
इस बदलाव के चलते, पूर्व मुख्य न्यायाधीशों के लिए नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी एक नया ठिकाना बन गई है। हाल ही में रिटायर हुए दो पूर्व मुख्य न्यायाधीशों को दो नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी में प्राध्यापक के रूप में नियुक्त किया गया है। सुप्रीम कोर्ट के पूर्व चीफ जस्टिस संजीव खन्ना अब नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी हिमाचल प्रदेश में कानून के छात्रों को पढ़ाएंगे।
उनसे पहले रिटायर हुए चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ को नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी दिल्ली में प्राध्यापक का पद मिला था। दोनों जस्टिस विशेष प्राध्यापक के रूप में कार्यरत हैं।