भौम प्रदोष व्रत 2025: शिव-पार्वती की कृपा पाने का सुनहरा अवसर
भौम प्रदोष व्रत 2025: शिव-पार्वती की कृपा
भौम प्रदोष व्रत 2025: शिव-पार्वती की कृपा पाने का सुनहरा अवसर: 8 जुलाई 2025 का दिन शिव भक्तों के लिए विशेष महत्व रखता है, क्योंकि इस दिन भौम प्रदोष व्रत और जया पार्वती व्रत एक साथ मनाए जाएंगे। यह पावन अवसर भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा का एक अनमोल मौका प्रदान करता है। यदि आप कर्ज से मुक्ति, मनचाहा वर पाने या जीवन की कठिनाइयों से छुटकारा पाना चाहते हैं, तो ये व्रत आपके लिए आशीर्वाद का भंडार खोल सकते हैं। आइए, इन व्रतों की महिमा, शुभ मुहूर्त और पूजा विधि के बारे में विस्तार से जानते हैं!
भौम प्रदोष व्रत: विशेष जानकारी
भौम प्रदोष व्रत, जो मंगलवार को आता है, शिव की कृपा और मंगल ग्रह की शांति के लिए किया जाता है। यह व्रत कर्ज, भूमि विवाद, शत्रु बाधा और स्वास्थ्य समस्याओं से राहत दिलाने में सहायक होता है। शिव पुराण के अनुसार, इस व्रत के माध्यम से अधूरी इच्छाएँ पूरी होती हैं। इस बार त्रयोदशी तिथि 7 जुलाई की रात 11:10 बजे से शुरू होकर 9 जुलाई की रात 12:38 बजे तक रहेगी। पूजा का शुभ समय शाम 7:23 से 9:24 तक है। इस समय शिवलिंग पर जल, बेलपत्र और दूध चढ़ाकर 'ॐ नमः शिवाय' का जाप करें। यह छोटा सा प्रयास आपके जीवन में बड़ा परिवर्तन ला सकता है!
जया पार्वती व्रत
जया पार्वती व्रत आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी से शुरू होकर कृष्ण पक्ष की तृतीया तक चलता है। यह विशेष रूप से गुजरात और पश्चिम भारत में प्रचलित है। अविवाहित कन्याएँ इसे मनचाहा वर पाने के लिए करती हैं। मान्यता है कि माता पार्वती ने भगवान शिव को पति के रूप में पाने के लिए यह व्रत किया था। इस दिन रेत या बालू से हाथी बनाकर उस पर फल, फूल और प्रसाद चढ़ाने से माँ पार्वती प्रसन्न होती हैं। यह व्रत गणगौर और हरतालिका तीज की तरह महत्वपूर्ण है। यदि आप सुखी वैवाहिक जीवन की कामना करते हैं, तो यह व्रत अवश्य करें।
पूजा विधि और शुभ मुहूर्त
भौम प्रदोष और जया पार्वती व्रत की पूजा के लिए शुभ मुहूर्त का ध्यान रखना आवश्यक है। शाम 7:23 से 9:24 तक का समय पूजा के लिए सबसे उपयुक्त है। सुबह स्नान के बाद साफ कपड़े पहनें और पूजा स्थल को गंगाजल से शुद्ध करें। एक चौकी पर लाल कपड़ा बिछाकर शिव-पार्वती की मूर्ति स्थापित करें। कुमकुम, बेलपत्र, फूल और मौसमी फल चढ़ाएँ। जया पार्वती व्रत में रेत का हाथी बनाकर उसकी पूजा करें। पूजा के बाद जया पार्वती व्रत की कथा पढ़ें और आरती करें। रात में जागरण के बाद सुबह रेत के हाथी को नदी या तालाब में विसर्जित करें। यह विधि आपके व्रत को और फलदायी बनाएगी।
आध्यात्मिक और ज्योतिषीय महत्व
8 जुलाई को सूर्य मिथुन राशि में और चंद्रमा वृश्चिक से धनु राशि में गोचर करेंगे। यह ज्योतिषीय संयोग भौम प्रदोष व्रत को और प्रभावशाली बनाता है। मंगल ग्रह की शांति के लिए यह व्रत विशेष है, क्योंकि यह मंगल दोष से परेशान लोगों को राहत प्रदान करता है। जया पार्वती व्रत का महत्व अविवाहित कन्याओं और विवाहित महिलाओं के लिए भी है, जो सुखी जीवन की कामना करती हैं। यह दिन आध्यात्मिक और ज्योतिषीय दृष्टि से आपके लिए नई शुरुआत का अवसर लेकर आता है। इसलिए, इस अवसर को न चूकें और शिव-पार्वती की कृपा प्राप्त करें।