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महंत बालकनाथ योगी ने तिगड़ाना में बाबा विनोद नाथ की तपस्या का समापन किया

महंत बालकनाथ योगी ने तिगड़ाना में बाबा विनोद नाथ की 41 दिवसीय तपस्या का समापन किया। इस अवसर पर उन्होंने भारत की आध्यात्मिक चेतना और संतों की भूमिका पर प्रकाश डाला। कार्यक्रम में श्रद्धालुओं ने भाग लिया और भंडारे का आनंद लिया। जानें इस आध्यात्मिक आयोजन के महत्व और संतों की तपस्या के प्रभाव के बारे में।
 

महंत बालकनाथ योगी का आध्यात्मिक संदेश


  • भारत केवल एक भूगोल नहीं, बल्कि आध्यात्मिक चेतना का केंद्र है : महंत बालकनाथ योगी


(Bhiwani News) भिवानी। महंत बालकनाथ योगी ने गांव तिगड़ाना में बिचला मंदिर में श्रद्धालुओं को संबोधित करते हुए कहा कि भारत केवल एक भौगोलिक संरचना नहीं है, बल्कि यह एक अद्वितीय आध्यात्मिक चेतना का केंद्र है। यह विचार उन्होंने बाबा विनोद नाथ द्वारा संपन्न 41 दिवसीय पंच धूणी तपस्या के समापन अवसर पर व्यक्त किए।


महंत ने तपस्वी बाबा विनोद नाथ को पुष्पहार अर्पित कर आशीर्वाद दिया और उनके तप की पूर्णाहुति के बाद प्रसाद भी ग्रहण करवाया। इस अवसर पर आयोजित विशाल भंडारे में दूर-दूर से आए श्रद्धालुओं ने भाग लिया और पुण्य लाभ प्राप्त किया।


भारत संतों की भूमि

महंत बालकनाथ योगी ने कहा, "भारत संतों की भूमि है। यह वह पवित्र धरती है जहां संतों और महापुरुषों ने मानवता को सत्य, प्रेम, करुणा और आत्मबोध का मार्ग दिखाया है। गांव तिगड़ाना का बाबा परमहंस धाम भी ऐतिहासिक और आध्यात्मिक स्थलों में से एक है।


यहां हर वर्ष श्रावण माह की पंचमी को विशाल मेला आयोजित होता है, जहां लाखों श्रद्धालु मन्नतें मांगने और विश्व शांति की कामना के लिए आते हैं।" उन्होंने यह भी कहा कि संतों की तपस्या ही देश की सांस्कृतिक धरोहर और राष्ट्रीय एकता की नींव है।


तपस्याओं का महत्व

मंदिर परिसर भक्तिभाव से भरा हुआ था। समाजसेविका दीपा तंवर ने बताया कि "बाबा विनोद नाथ की यह तपस्या न केवल व्यक्तिगत साधना का प्रतीक है, बल्कि यह संपूर्ण समाज के लिए आध्यात्मिक ऊर्जा का केंद्र भी है।


ऐसी तपस्याओं से देश को नकारात्मक शक्तियों, महामारी और आपदाओं से बचाव मिलता है।" इस अवसर पर कई संतों ने भी बाबा विनोद नाथ को सम्मानित किया।


इस आयोजन में मंदिर प्रधान वीरेंद्र, कोषाध्यक्ष मैनपाल तंवर, सरपंच सुरेंद्र, और सैकड़ों श्रद्धालु उपस्थित रहे।