माउंट आबू का अर्बुदादेवी मंदिर: एक अद्भुत धार्मिक स्थल
माउंट आबू का अर्बुदादेवी मंदिर, जो मां दुर्गा के कात्यायनी रूप को समर्पित है, एक प्रमुख शक्तिपीठ है। इस मंदिर की पौराणिक कथा और ऐतिहासिक महत्व इसे श्रद्धालुओं के लिए एक अद्भुत स्थल बनाते हैं। नवरात्रि के दौरान यहां विशेष मेले का आयोजन होता है, जिससे भक्तों की भीड़ बढ़ जाती है। जानें इस मंदिर की विशेषताएँ और इसके पीछे की रोचक कहानियाँ।
Nov 13, 2025, 14:43 IST
अर्बुदादेवी मंदिर का महत्व
इस लेख में हम माउंट आबू के सिरोही जिले में स्थित प्राचीन अर्बुदादेवी मंदिर के बारे में चर्चा करेंगे। यह मंदिर मां दुर्गा के कात्यायनी रूप को समर्पित है और पहाड़ों की एक गुफा में स्थित है। इसे देश के 51 शक्तिपीठों में से एक माना जाता है। साल भर यहां श्रद्धालुओं की भीड़ लगी रहती है, लेकिन नवरात्रि के दौरान यहां विशेष रूप से मेले जैसा माहौल बन जाता है।
मंदिर की विशेषताएँ
माउंट आबू न केवल एक हिल स्टेशन है, बल्कि धार्मिक दृष्टि से भी अत्यंत महत्वपूर्ण है। यहां कई पौराणिक धरोहरें हैं, जिनमें से एक अर्बुदादेवी मंदिर है। यह मंदिर देलवाड़ा मार्ग पर अरावली पर्वतमाला की ऊंचाई पर स्थित है, जहां मां कात्यायनी की पूजा की जाती है। श्रद्धालुओं को मां के दर्शन के लिए 365 सीढ़ियाँ चढ़नी पड़ती हैं, और नवरात्रि के समय भक्तों को लंबी कतारों में खड़े रहकर दर्शन का इंतजार करना पड़ता है।
पौराणिक कथा
पौराणिक कथा
कथाओं के अनुसार, जब भगवान शिव अपनी पत्नी सती के शव के साथ तांडव कर रहे थे, तब भगवान विष्णु ने सती के शरीर को सुदर्शन चक्र से काट दिया। इस घटना के दौरान सती के होंठ माउंट आबू में गिरे, जिससे इस स्थान को शक्तिपीठ का दर्जा मिला। पहले इस मंदिर का नाम अधरदेवी रखा गया था। ऋषि वशिष्ठ ने यहां यज्ञ किया था, ताकि धरती पर धर्म की रक्षा के लिए देवताओं की सहायता मिल सके।
इतिहास और परंपरा
परमार राजवंश, जो 9वीं से 14वीं शताब्दी तक मध्य भारत के मालवा क्षेत्र पर शासन करते थे, का अर्बुदादेवी मंदिर से गहरा संबंध है। कुछ इतिहासकारों का मानना है कि परमार शासकों की उत्पत्ति माउंट आबू के 'अग्निकुंड' से हुई थी, और उनकी कुलदेवी के रूप में अर्बुदा देवी की पूजा की जाती थी। अग्निकुंड की कथा परमारों की उत्पत्ति से जुड़ी हुई है, जो अर्बुदा देवी के प्रति उनकी गहरी भक्ति का प्रतीक है।