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राष्ट्रीय चिकित्सक दिवस: प्राचीन भारतीय चिकित्सा पद्धतियों का महत्व

1 जुलाई को राष्ट्रीय चिकित्सक दिवस मनाया जाता है, जिसका उद्देश्य चिकित्सकों की सेवाओं और प्राचीन भारतीय चिकित्सा पद्धतियों के महत्व को उजागर करना है। प्राचीन ग्रंथों में चिकित्सकों की गरिमा और समाज में उनके स्थान का उल्लेख मिलता है। आयुर्वेद, जिसे ऋषि धन्वंतरि ने विकसित किया, आज विश्वभर में एक प्रमुख चिकित्सा पद्धति के रूप में मान्यता प्राप्त कर रहा है। इस दिन हम सभी के जीवन में आयुर्वेद के महत्व को बनाए रखने की कामना करते हैं।
 

राष्ट्रीय चिकित्सक दिवस का महत्व

हर साल 1 जुलाई को राष्ट्रीय चिकित्सक दिवस मनाया जाता है, जिसका उद्देश्य चिकित्सकों की भूमिका और सेवाओं के प्रति जागरूकता बढ़ाना है। प्राचीन भारतीय ग्रंथों के अध्ययन से यह स्पष्ट होता है कि प्राचीन भारत में चिकित्सा पेशे का बहुत सम्मान था। विभिन्न चिकित्सा पद्धतियों से जुड़े चिकित्सक समाज में उच्च स्थान रखते थे।


प्राचीन चिकित्सा पद्धतियों का विकास

प्राचीन भारतीय चिकित्सा पद्धतियों को व्यवस्थित और समग्र माना जाता है। वेदों में चिकित्सा से संबंधित जानकारी सबसे प्राचीन मानी जाती है। औषधीय प्रथाओं का उल्लेख ब्राह्मण ग्रंथों और पुराणों में भी मिलता है।


वैदिक चिकित्सा का महत्व

प्राचीन भारतीय समाज में एकेश्वरवाद का प्रचलन था, जिसमें सभी जीवों को देवता माना जाता था। वैदिक धर्म के अनुयायी अपने कर्मफल के भागीदार माने जाते थे। समय के साथ, बीमारियों को दैवीय कारणों से जोड़ा जाने लगा और जादुई उपचारों का उपयोग बढ़ा।


धन्वंतरि और आयुर्वेद

ऋषि धन्वंतरि को आयुर्वेद का जन्मदाता माना जाता है। उन्होंने वनस्पतियों के गुणों का अध्ययन किया और चिकित्सा के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान दिया। आयुर्वेद को जीवन का विज्ञान माना जाता है, जो संपूर्ण स्वास्थ्य के लिए आवश्यक है।


आयुर्वेद का वैश्विक महत्व

आज आयुर्वेद को एक श्रेष्ठ चिकित्सा पद्धति के रूप में मान्यता प्राप्त हो रही है। यह न केवल भारत में, बल्कि विश्वभर में स्वास्थ्य के लिए एक महत्वपूर्ण साधन बन रहा है।


राष्ट्रीय चिकित्सक दिवस की शुभकामनाएं

हम सभी के जीवन में आयुर्वेद का महत्व बनाए रखने की कामना के साथ, राष्ट्रीय चिकित्सक दिवस की अनंत शुभकामनाएं।