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शारदीय नवरात्रि 2025: भक्तों की उमड़ी भीड़ और विशेष पूजा-अर्चना

शारदीय नवरात्रि 2025 का पर्व आज से शुरू हो गया है, जिसमें देशभर के मंदिरों में भक्तों की भारी भीड़ उमड़ पड़ी है। देवी दुर्गा और उनके नौ रूपों की पूजा के साथ इस पर्व की शुरुआत हुई है। भक्त विशेष पूजा-अर्चना कर रहे हैं और गरबा व डांडिया जैसे पारंपरिक नृत्यों में भाग ले रहे हैं। यह पर्व न केवल धार्मिक महत्व रखता है, बल्कि सामाजिक एकता और सांस्कृतिक उत्सव का भी प्रतीक है। जानें इस पर्व के दौरान क्या खास हो रहा है और भक्तों का उत्साह कैसे बढ़ रहा है।
 

शारदीय नवरात्रि का आगाज़

शारदीय नवरात्रि 2025: आज से शारदीय नवरात्रि का पर्व शुरू हो गया है, जिसके चलते देशभर के मंदिरों में देवी दुर्गा और उनके नौ रूपों की पूजा के लिए भक्तों की भीड़ जुटने लगी है। इस पर्व की शुरुआत घृतस्थापना और मां शैलपुत्री की पूजा से हुई। सुबह से ही विभिन्न मंदिरों में श्रद्धालुओं की लंबी कतारें देखी गईं। भव्य सजावट, रोशनी और धार्मिक कार्यक्रमों ने पूरे वातावरण को आध्यात्मिक बना दिया है।


दिल्ली और मुंबई में भक्तों की भीड़

दिल्ली के कालकाजी और झंडेवाला मंदिर में हजारों भक्तों ने मां दुर्गा के दर्शन किए। छतरपुर स्थित श्री आद्या कात्यायनी शक्तिपीठ मंदिर में भी भक्तों की भारी भीड़ देखी गई। मुंबई के प्रसिद्ध मुंबादेवी मंदिर में ककड़ आरती का आयोजन किया गया, जिससे नौ दिवसीय उत्सव का विधिवत आरंभ हुआ।



मध्य प्रदेश में मां बगलामुखी मंदिर की भीड़

मध्य प्रदेश के आगर मालवा जिले के नलखेड़ा स्थित मां बगलामुखी मंदिर में भी श्रद्धालुओं की भारी भीड़ देखी गई। मान्यता है कि महाभारत काल में पांडवों ने यहीं मां बगलामुखी की आराधना की थी, जिससे इस मंदिर का महत्व और बढ़ जाता है। नवरात्रि का यह नौ दिवसीय पर्व पूरे देश में रंगों, आस्था और उल्लास के साथ मनाया जाता है।



नवदुर्गा की पूजा और उत्सव

हर दिन देवी दुर्गा के एक अलग स्वरूप की पूजा की जाती है, जिन्हें नवदुर्गा कहा जाता है। ये स्वरूप शक्ति, करुणा और ज्ञान का प्रतीक माने जाते हैं। भक्त इस दौरान व्रत रखते हैं, भजन-कीर्तन करते हैं और गरबा व डांडिया जैसे पारंपरिक नृत्यों में भाग लेते हैं।



विशेष पूजा-अर्चना का महत्व

आज मां शैलपुत्री की पूजा के साथ नवरात्रि की शुरुआत हुई। भक्तों ने शुभ मुहूर्त में कलश स्थापना कर व्रत का संकल्प लिया। पूजा में मां से शक्ति, शुद्धता और समृद्धि की कामना की गई। देशभर के घरों और मंदिरों में विशेष पूजा-अर्चना की गई। यह पर्व न केवल धार्मिक महत्व रखता है बल्कि सामाजिक एकता और सांस्कृतिक उत्सव का भी प्रतीक है। शाम को गरबा और डांडिया की धुनों पर श्रद्धालु झूमते हुए नजर आए। कोलकाता में भव्य दुर्गा पंडालों की तैयारियां भी पूरी हो गई हैं, जहां आने वाले दिनों में लाखों लोग माता के दर्शन करेंगे। शारदीय नवरात्रि का समापन 2 अक्टूबर को विजयादशमी (दशहरा) के साथ होगा। इस दिन बुराई पर अच्छाई की विजय का संदेश पूरे देश में गूंजेगा। आने वाले नौ दिन आस्था, तपस्या और सांस्कृतिक उल्लास से परिपूर्ण रहने वाले हैं।