श्री रामचन्द्रजी के अवतार की कथा: भक्तों के लिए प्रेरणा
इस लेख में श्री रामचन्द्रजी के अवतार की कथा का वर्णन किया गया है, जिसमें उनके जन्म के अद्भुत कारण और भक्तों के लिए प्रेरणा देने वाले तत्व शामिल हैं। जानें कैसे श्री राम ने असुरों का वध किया और भक्तों को मार्गदर्शन दिया। यह कथा न केवल धार्मिक महत्व रखती है, बल्कि जीवन में सकारात्मकता और भक्ति का संदेश भी देती है।
Nov 21, 2025, 18:14 IST
श्री रामचन्द्रजी का महिमा
श्री रामचन्द्राय नम:
पुण्यं पापहरं सदा शिवकरं विज्ञानभक्तिप्रदं
मायामोहमलापहं सुविमलं प्रेमाम्बुपूरं शुभम्।
श्रीमद्रामचरित्रमानसमिदं भक्त्यावगाहन्ति ये
ते संसारपतङ्गघोरकिरणैर्दह्यन्ति नो मानवाः
अवतार का उद्देश्य
दोहा :
असुर मारि थापहिं सुरन्ह राखहिं निज श्रुति सेतु।
जग बिस्तारहिं बिसद जस राम जन्म कर हेतु॥
भावार्थ:-वे असुरों का वध कर देवताओं की रक्षा करते हैं और अपने वेदों की मर्यादा को बनाए रखते हैं। श्री रामचन्द्रजी का अवतार इसी उद्देश्य से हुआ है॥
भक्तों के लिए प्रेरणा
चौपाई :
सोइ जस गाइ भगत भव तरहीं। कृपासिंधु जन हित तनु धरहीं॥
राम जनम के हेतु अनेका। परम बिचित्र एक तें एका॥1॥
भावार्थ:-भक्तजन उसी यश का गान करके भवसागर से पार हो जाते हैं। कृपासागर भगवान भक्तों के कल्याण के लिए अवतार लेते हैं। श्री रामचन्द्रजी के जन्म के अनेक अद्भुत कारण हैं॥1॥
भविष्यवाणी और शाप
जनम एक दुइ कहउँ बखानी। सावधान सुनु सुमति भवानी॥
द्वारपाल हरि के प्रिय दोऊ। जय अरु बिजय जान सब कोऊ॥2॥
भावार्थ:-हे भवानी! मैं उनके जन्मों का वर्णन करता हूँ, तुम ध्यान से सुनो। श्री हरि के प्रिय द्वारपाल जय और विजय हैं, जिन्हें सभी जानते हैं॥2॥
असुरों का वध
बिप्र श्राप तें दूनउ भाई। तामस असुर देह तिन्ह पाई॥
कनककसिपु अरु हाटकलोचन। जगत बिदित सुरपति मद मोचन॥3॥
भावार्थ:-इन दोनों भाइयों ने ब्राह्मण के श्राप से असुरों का तामसी शरीर प्राप्त किया। एक का नाम हिरण्यकशिपु और दूसरे का हिरण्याक्ष था, जो देवताओं के गर्व को मिटाने के लिए प्रसिद्ध हुए॥3॥
महाकवि तुलसीदास की प्रेरणा
राम रामेति रामेति, रमे रामे मनोरमे ।
सहस्रनाम तत्तुल्यं, रामनाम वरानने ॥
- आरएन तिवारी