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सावन 2025 में शिवलिंग स्थापना: सही विधि और नियम जो बदल सकते हैं आपकी किस्मत

सावन 2025 का पवित्र महीना नजदीक है, और शिव भक्तों में उत्साह की लहर है। इस लेख में, हम शिवलिंग की स्थापना के सही तरीके और नियमों पर चर्चा करेंगे, जो न केवल आपके घर में सकारात्मक ऊर्जा लाएंगे, बल्कि भगवान शिव का आशीर्वाद भी प्राप्त करने में मदद करेंगे। जानें कि किस प्रकार शिवलिंग की स्थापना से आपकी किस्मत बदल सकती है और पूजा की विधि क्या होनी चाहिए।
 

सावन 2025 में शिवलिंग स्थापना: विधि और नियम

सावन 2025 का पवित्र महीना नजदीक है, और शिव भक्तों में उत्साह की लहर है! यह वह समय है जब भक्त भोलेनाथ की कृपा पाने के लिए उनकी भक्ति में लीन होते हैं। सावन में शिवलिंग की स्थापना एक ऐसा उपाय है, जो आपके घर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार करता है और सुख, शांति तथा समृद्धि का मार्ग प्रशस्त करता है।


सावन 2025 में शिवलिंग की स्थापना: विधि


क्या आप जानते हैं कि शिवलिंग की स्थापना के लिए कुछ विशेष नियम और विधियाँ हैं? यदि नहीं, तो यह लेख आपके लिए है। आइए, जानते हैं कि कैसे सही तरीके से शिवलिंग स्थापित करके आप भगवान शिव का आशीर्वाद प्राप्त कर सकते हैं।


शिवलिंग के प्रकार और उनका महत्व


शिवलिंग केवल एक प्रतीक नहीं है, बल्कि यह भगवान शिव की अनंत शक्ति का प्रतीक है। सावन में शिवलिंग की स्थापना से पहले यह जानना आवश्यक है कि कौन सा शिवलिंग आपके लिए उपयुक्त है। पार्थिव शिवलिंग, जो मिट्टी से निर्मित होता है, विशेष रूप से पूजा जाता है और फिर विसर्जित किया जाता है। वहीं, पारद शिवलिंग को अत्यधिक शक्तिशाली माना जाता है, जो इच्छाओं को पूरा करता है।


स्फटिक शिवलिंग मानसिक शांति और ध्यान के लिए जाना जाता है, जबकि पीतल या तांबे से बने धातु शिवलिंग भी घर में स्थापित किए जा सकते हैं। ध्यान रखें, शिवलिंग का आकार अंगूठे के ऊपरी हिस्से से बड़ा नहीं होना चाहिए, और घर में एक से अधिक शिवलिंग रखने से बचें। यह छोटी सी सावधानी आपके घर में सकारात्मकता को दोगुना कर सकती है!


शिवलिंग की स्थापना की सही दिशा


शिवलिंग की स्थापना का सबसे महत्वपूर्ण पहलू उसकी दिशा है। उत्तर-पूर्वी कोण, जिसे ईशान कोण कहा जाता है, शिवलिंग के लिए सबसे शुभ माना जाता है। शिवलिंग का मुख (जलहरी) उत्तर दिशा की ओर होना चाहिए, ताकि अभिषेक का जल उसी दिशा में बह सके।


पूजा करते समय भक्त को पूर्व दिशा की ओर मुख करके बैठना चाहिए। ये छोटी-छोटी बातें न केवल आपकी पूजा को प्रभावी बनाती हैं, बल्कि भोलेनाथ को प्रसन्न करने में भी सहायक होती हैं। इस सावन में सही दिशा का चयन करके अपनी भक्ति को और गहरा करें!


शिवलिंग की स्थापना और पूजा की विधि


शिवलिंग की स्थापना कोई साधारण कार्य नहीं है; इसके लिए पूरी श्रद्धा और सावधानी की आवश्यकता होती है। सबसे पहले, घर में एक शांत और स्वच्छ स्थान का चयन करें। उस स्थान को गंगाजल से शुद्ध करें और एक चौकी पर लाल या पीला वस्त्र बिछाएं। शिवलिंग स्थापित करते समय “ॐ नमः शिवाय” मंत्र का जाप करें। जलहरी को उत्तर दिशा की ओर रखें और प्राण प्रतिष्ठा करवाएं।


यदि आप स्वयं प्राण प्रतिष्ठा नहीं कर सकते, तो किसी योग्य पंडित की सहायता लें। पूजा में नियमित अभिषेक आवश्यक है, जिसमें जल, दूध, दही, घी, शहद या गन्ने का रस चढ़ाएं। बेलपत्र, धतूरा, आक के फूल और शमी पत्र भगवान शिव को प्रिय हैं, इसलिए इन्हें अर्पित करें। लेकिन ध्यान दें! तुलसी का प्रयोग शिव पूजा में वर्जित है। रोजाना मंत्र जाप और सफाई से आपकी भक्ति और गहरी होगी।