सुप्रीम कोर्ट का बड़ा आदेश: आवारा कुत्तों के लिए डॉग लवर्स और NGOs को देना होगा पैसा
सुप्रीम कोर्ट का आदेश
सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला: आवारा कुत्तों के मामले में डॉग लवर्स और NGOs को देना होगा पैसा: दिल्ली: दिल्ली-एनसीआर में आवारा कुत्तों का मुद्दा इन दिनों चर्चा का विषय बना हुआ है। यह मामला अब सर्वोच्च न्यायालय तक पहुंच चुका है। कुछ लोग इन कुत्तों के अधिकारों के लिए आवाज उठा रहे हैं, जबकि अन्य इसके खिलाफ हैं।
इस संदर्भ में, सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को एक महत्वपूर्ण निर्णय सुनाया और स्पष्ट किया कि आवारा कुत्तों के भविष्य के बारे में क्या किया जाएगा। न्यायालय ने डॉग लवर्स और गैर-सरकारी संगठनों (NGOs) को सख्त निर्देश दिए हैं। कोर्ट ने कहा कि जो भी इस मामले में याचिका दायर करना चाहता है, उसे पहले एक सप्ताह के भीतर क्रमशः 25,000 रुपये और दो लाख रुपये जमा करने होंगे। आइए, इस पूरे मामले को विस्तार से समझते हैं।
डॉग लवर्स और NGOs को देना होगा पैसा
सुप्रीम कोर्ट का आदेश: न्यायमूर्ति विक्रम नाथ की अध्यक्षता वाली तीन जजों की विशेष पीठ ने स्पष्ट किया कि यह धनराशि नगर निकायों की देखरेख में आवारा कुत्तों के लिए आश्रय स्थल और अन्य सुविधाएं बनाने में उपयोग की जाएगी। पीठ में जस्टिस संदीप मेहता और जस्टिस एन वी अंजारिया भी शामिल थे।
कोर्ट ने आदेश दिया कि हर डॉग लवर को 25,000 रुपये और हर NGO को दो लाख रुपये सुप्रीम कोर्ट की रजिस्ट्री में सात दिन के भीतर जमा करने होंगे। यदि ऐसा नहीं किया गया, तो उन्हें इस मामले में आगे बढ़ने की अनुमति नहीं दी जाएगी।
मामले की पृष्ठभूमि
क्यों उठा ये मामला?
वास्तव में, कई NGOs और डॉग लवर्स ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी, जिसमें 11 अगस्त को दो जजों की पीठ के कुछ निर्देशों पर रोक लगाने की मांग की गई थी। शुक्रवार को कोर्ट ने दिल्ली-एनसीआर में आवारा कुत्तों के काटने की घटनाओं, विशेषकर बच्चों में रेबीज की खबरों पर स्वतः संज्ञान लेते हुए यह आदेश दिया। यह मामला 28 जुलाई को शुरू हुआ था।
कुत्तों को गोद लेने का अवसर
कोर्ट ने कहा कि जो पशु प्रेमी आवारा कुत्तों को गोद लेना चाहते हैं, वे संबंधित नगर निकायों में आवेदन कर सकते हैं। इसके बाद कुत्तों को टैग किया जाएगा और गोद दे दिया जाएगा। लेकिन गोद लेने वाले की जिम्मेदारी होगी कि वह कुत्ता दोबारा सड़कों पर न आए।
साथ ही, कोर्ट ने 11 अगस्त के उस आदेश में बदलाव किया, जिसमें आश्रय स्थलों से कुत्तों को छोड़ने पर रोक थी। अब कुत्तों का बंध्याकरण और टीकाकरण करवाकर उन्हें उसी क्षेत्र में वापस छोड़ा जाएगा, जहां से उन्हें उठाया गया था।
नगर निकायों की जिम्मेदारी
हालांकि, कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि नगर निगम अधिकारी दिल्ली, गाजियाबाद, नोएडा, फरीदाबाद और गुरुग्राम में आवारा कुत्तों को उठाने और उनकी देखभाल करने के निर्देश का पालन करते रहेंगे। 11 अगस्त के आदेश को फिलहाल स्थगित रखा गया है। इस आदेश के बाद देशभर में कई जगहों पर विरोध प्रदर्शन भी हुए थे।
क्या है पूरा मामला?
आवारा कुत्तों को लेकर दिल्ली-एनसीआर में लंबे समय से बहस चल रही है। रेबीज और कुत्तों के काटने की घटनाओं ने इस मुद्दे को और गंभीर बना दिया है। सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला इस दिशा में एक बड़ा कदम है, जो आवारा कुत्तों की समस्या का हल निकालने की कोशिश करता है। अब देखना होगा कि इस आदेश का कितना असर होता है।