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स्मार्ट सिंचाई योजना: जल संरक्षण और कृषि उत्पादन में वृद्धि

स्मार्ट सिंचाई योजना ने भारत के चार राज्यों में जल संकट का समाधान पेश किया है। यह योजना किसानों को कम पानी में अधिक उपज प्राप्त करने में मदद करेगी। जल शक्ति मंत्रालय और FAO के सहयोग से शुरू की गई इस योजना का उद्देश्य जल उपयोग दक्षता को बढ़ाना और टिकाऊ कृषि को प्रोत्साहित करना है। डिजिटल तकनीक के माध्यम से किसानों को सिंचाई को नियंत्रित करने की सुविधा मिलेगी, जिससे जल प्रबंधन में सुधार होगा। जानें इस योजना की विशेषताएँ और इसके संभावित लाभ।
 

स्मार्ट सिंचाई योजना: चार राज्यों में जल संरक्षण और उत्पादन में वृद्धि

स्मार्ट सिंचाई योजना: जल संरक्षण और कृषि उत्पादन में वृद्धि: भारत के चार राज्यों—पंजाब, हरियाणा, ओडिशा, और छत्तीसगढ़—में स्मार्ट सिंचाई योजना ने नई संभावनाएं खोली हैं। जल शक्ति मंत्रालय और संयुक्त राष्ट्र के खाद्य एवं कृषि संगठन (FAO) ने 3 लाख डॉलर के समझौते के तहत दबावयुक्त पाइपलाइन प्रणाली की शुरुआत की है।


यह पायलट परियोजना जल संकट का सामना कर रहे किसानों को कम जल उपयोग में अधिक उपज (Increased Yield) प्राप्त करने में मदद करेगी। यह कदम टिकाऊ कृषि (Sustainable Agriculture) और जल प्रबंधन को प्रोत्साहित करेगा। आइए, इस योजना की विशेषताओं पर नजर डालते हैं।


जल संकट का प्रभावी समाधान: स्मार्ट सिंचाई योजना


भारत में 80% मीठा पानी कृषि में उपयोग होता है, लेकिन पारंपरिक सिंचाई विधियों के कारण भूजल स्तर तेजी से घट रहा है। स्मार्ट सिंचाई योजना (Smart Irrigation Scheme) दबावयुक्त पाइपलाइन के माध्यम से 99% पानी का प्रभावी उपयोग सुनिश्चित करती है, जिससे रिसाव और वाष्पीकरण (Leakage and Evaporation) को रोका जा सकता है।


FAO के प्रतिनिधि ताकायुकी हागिवारा ने बताया कि यह योजना किसानों के कौशल को बढ़ाने में सहायक होगी। पंजाब, हरियाणा, ओडिशा, और छत्तीसगढ़ में शुरू की गई यह परियोजना जल उपयोग दक्षता (Water Use Efficiency) को बेहतर बनाएगी।


डिजिटल तकनीक से आधुनिक खेती


यह योजना डिजिटल कृषि (Digital Agriculture) को भी बढ़ावा देगी। इंटरनेट ऑफ थिंग्स (IoT Technology) के माध्यम से किसान मोबाइल से सिंचाई को नियंत्रित (Remote Irrigation Control) कर सकेंगे, जिससे पानी की मात्रा और समय को सटीक बनाया जा सकेगा।


जल उपयोगकर्ता संघ (Water User Associations) के साथ सामुदायिक भागीदारी (Community Participation) से स्थानीय स्तर पर जल प्रबंधन (Water Management) को मजबूत किया जाएगा। यह प्रणाली पारदर्शिता और जवाबदेही (Transparency and Accountability) सुनिश्चित करेगी, जिससे छोटे किसानों को लाभ होगा और जलवायु परिवर्तन (Climate Change) से निपटने में मदद मिलेगी।


भविष्य के लिए ठोस कदम


FAO और जल शक्ति मंत्रालय का तकनीकी सहयोग कार्यक्रम (Technical Cooperation Program) इस योजना का आधार है। यह पायलट परियोजना ‘भारतीय सिंचाई 2030’ (India Irrigation 2030) रणनीति का हिस्सा है। भविष्य में एकपक्षीय ट्रस्ट फंड (Unilateral Trust Fund) के माध्यम से इसे पूरे देश में लागू किया जाएगा।


यह योजना भूजल संरक्षण (Groundwater Conservation) और टिकाऊ कृषि (Sustainable Agriculture) को बढ़ावा देगी। किसानों से अपील है कि वे इस पहल का लाभ उठाएं। यह योजना भारत को जल संकट (Water Crisis) से मुक्ति दिलाने की दिशा में मील का पत्थर साबित होगी।