हनुमान चालीसा का सही पाठ करने के तरीके
हनुमान चालीसा: एक अमर ग्रंथ
हनुमान चालीसा, जिसे गोस्वामी तुलसीदास जी ने लिखा है, 40 चौपाइयों का एक महत्वपूर्ण ग्रंथ है। इसे नियमित रूप से पढ़ने से हनुमान जी की कृपा से संकट टल जाते हैं, दुश्मन भाग जाते हैं और बीमारियाँ दूर होती हैं। लाखों लोग प्रतिदिन इसका पाठ करते हैं, लेकिन कई बार उन्हें पूरा लाभ नहीं मिल पाता। इसका कारण है गलत तरीके से पाठ करना। आइए जानते हैं हनुमान चालीसा का सही और प्रभावी पाठ करने का तरीका...
एक स्थान पर बैठकर करें पाठ
हनुमान चालीसा का पाठ चलते-फिरते, तैयार होते हुए या लेटे हुए नहीं करना चाहिए। लाल ऊन का आसन बिछाकर बैठें। पाठ शुरू करने से पहले दीपक और धूपबत्ती जलाएं, गुड़-चने का भोग लगाएं और जल से खुद को पवित्र करें।
सबसे पहले भगवान गणेश जी, श्रीराम और माता सीता का ध्यान करें। फिर "ओम हं हनुमते नमः" मंत्र का 108 बार जाप करें। इसके बाद शांत मन से हनुमान चालीसा का पाठ करें और अंत में हनुमान जी की आरती अवश्य करें।
जल्दबाजी से बचें
हनुमान चालीसा का पाठ कभी भी जल्दी में नहीं करना चाहिए। हर चौपाई को स्पष्ट उच्चारण के साथ, शांत मन से और उसके अर्थ को समझते हुए पढ़ें। पाठ के दौरान बार-बार बजरंगबली का स्मरण करें। जितना ध्यान लगाकर पढ़ेंगे, उतना ही अधिक फल प्राप्त होगा।
राम नाम का महत्व
हनुमान जी रामभक्त हैं, इसलिए हनुमान चालीसा का पाठ करने से पहले श्रीराम का नाम लेना आवश्यक है। बिना राम नाम के, हनुमान चालीसा का पूरा लाभ नहीं मिलता। पाठ शुरू करने से पहले राम-राम जपें और श्रीराम की स्तुति करें।
तुलसीदास जी की जगह अपना नाम लें
हनुमान चालीसा में जहाँ "तुलसीदास सदा हरि चेरा" लिखा है, वहाँ अपने नाम का उच्चारण करें। जैसे – "राम (आपका नाम) सदा हरि चेरा"। पाठ समाप्त होने के बाद अंत में "श्री राम जय राम जय जय राम" अवश्य बोलें। इससे हनुमान जी की कृपा सीधे आप पर बरसती है।
तो अब से हनुमान चालीसा इन नियमों के अनुसार पढ़ें – संकट, बीमारी, दुश्मन सब भाग जाएंगे!
नोट
(यह जानकारी ज्योतिष शास्त्र और धार्मिक मान्यताओं पर आधारित है। हम इसकी पुष्टि नहीं करते।)