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हनुमान पूजा के मंत्र: संकटों से मुक्ति के लिए करें जाप

हनुमान जी की पूजा से न केवल मंगल ग्रह की शक्ति में वृद्धि होती है, बल्कि यह शनि दोष से भी मुक्ति दिलाती है। इस लेख में, हम आपको बताएंगे कि किस प्रकार मंगलवार को हनुमान जी की पूजा की जाए और कौन से मंत्रों का जाप करना चाहिए। इन मंत्रों के जाप से आप अपने करियर और व्यापार में आ रही समस्याओं से छुटकारा पा सकते हैं। जानें हनुमान जी के विशेष मंत्र और उनकी पूजा विधि के बारे में।
 

हनुमान जी की पूजा से मंगल ग्रह की शक्ति बढ़ती है


हनुमान जी की पूजा से मंगल ग्रह होता है मजबूत
वैदिक पंचांग के अनुसार, 11 नवंबर को मार्गशीर्ष माह के कृष्ण पक्ष की सप्तमी तिथि है। इस दिन श्रद्धा से हनुमान जी की पूजा की जा रही है। साथ ही, इस दिन व्रत भी रखा जा रहा है। ज्योतिषियों के अनुसार, मंगलवार को हनुमान जी की पूजा करने से कुंडली में मंगल और शनि दोष से मुक्ति मिलती है, जिससे करियर और व्यापार में आ रही समस्याएं भी दूर होती हैं। यदि आप भी हनुमान जी को प्रसन्न करना चाहते हैं, तो इस दिन भक्ति भाव से उनकी पूजा करें और निम्नलिखित मंत्रों का जाप करें।


मंगलवार के मंत्र

1. ॐ आपदामप हर्तारम दातारं सर्व सम्पदाम,
लोकाभिरामं श्री रामं भूयो भूयो नामाम्यहम !
श्री रामाय रामभद्राय रामचन्द्राय वेधसे,
रघुनाथाय नाथाय सीताया पतये नमः !


2. अतुलितबलधामं हेमशैलाभदेहम्
दनुजवनकृशानुं ज्ञानिनामग्रगण्यम् ।
सकलगुणनिधानं वानराणामधीशम्
रघुपतिप्रियभक्तं वातजातं नमामि।।


ॐ ऐं ह्रीं हनुमते श्री रामदूताय नमः


3. ऊँ नमो हनुमते रुद्रावताराय विश्वरूपाय अमितविक्रमाय
प्रकट-पराक्रमाय महाबलाय सूर्यकोटिसमप्रभाय रामदूताय स्वाहा।


4. ऊँ नमो हनुमते रुद्रावताराय रामसेवकाय
रामभक्तितत्पराय रामहृदयाय लक्ष्मणशक्ति
भेदनिवारणाय लक्ष्मणरक्षकाय दुष्टनिबर्हणाय रामदूताय स्वाहा।


5. ऊँ नमो हनुमते रुद्रावताराय सर्वशत्रुसंहरणाय
सर्वरोगहराय सर्ववशीकरणाय रामदूताय स्वाहा।


6. ॐ दाशरथये विद्महे जानकी वल्लभाय धी महि तन्नो रामः प्रचोदयात् ॥


7. राम रामेति रामेति रमे रामे मनोरमे।
सहस्त्र नाम तत्तुन्यं राम नाम वरानने ।।


8. ॐ जानकीकांत तारक रां रामाय नमः॥


9. ॐ आपदामप हर्तारम दातारं सर्व सम्पदाम ,
लोकाभिरामं श्री रामं भूयो भूयो नामाम्यहम !
श्री रामाय रामभद्राय रामचन्द्राय वेधसे,
रघुनाथाय नाथाय सीताया पतये नमः !


10. ॐ राम ॐ राम ॐ राम ।
ह्रीं राम ह्रीं राम ।
श्रीं राम श्रीं राम ।
क्लीं राम क्लीं राम।
फ़ट् राम फ़ट्।
रामाय नमः ।
श्री रामचन्द्राय नमः ।
श्री राम शरणं मम् ।
ॐ रामाय हुँ फ़ट् स्वाहा ।
श्री राम जय राम जय जय राम ।
राम राम राम राम रामाय राम ।
ॐ श्री रामचन्द्राय नम :


तारक मंत्र

श्री राम, जय राम, जय जय राम !!
‘श्री राम जय राम जय जय राम’।
राम राम राम राम नाम तारकम्राम
कृष्ण वासुदेव भक्ति मुक्ति दायकम् ॥


जानकी मनोहरम सर्वलोक नायकम्
जानकी मनोहरम सर्वलोक नायकम् ॥
शङ्करादि सेव्यमान पुण्यनाम कीर्तनम्
शङ्करादि सेव्यमान पुण्यनाम कीर्तनम् ॥


राम राम राम राम नाम तारकम्राम
कृष्ण वासुदेव भक्ति मुक्ति दायकम् ॥
वीरशूर वन्दितं रावणादि नाशकम्
वीरशूर वन्दितं रावणादि नाशकम् ॥


आञ्जनेय जीवनाम राजमन्त्र रुपकम्
आञ्जनेय जीवनाम राजमन्त्र रुपकम् ॥
राम राम राम राम नाम तारकम्राम
कृष्ण वासुदेव भक्ति मुक्ति दायकम् ॥


ऋणमोचन अङ्गारकस्तोत्रम्

रक्तमाल्याम्बरधरः शूलशक्तिगदाधरः ।
चतुर्भुजो मेषगतो वरदश्च धरासुतः ॥
मङ्गलो भूमिपुत्रश्च ऋणहर्ता धनप्रदः ।
स्थिरासनो महाकायो सर्वकामफलप्रदः ॥
लोहितो लोहिताक्षश्च सामगानां कृपाकरः ।
धरात्मजः कुजो भौमो भूमिदो भूमिनन्दनः ॥
अङ्गारको यमश्चैव सर्वरोगापहारकः ।
सृष्टेः कर्ता च हर्ता च सर्वदेशैश्च पूजितः ॥
एतानि कुजनामानि नित्यं यः प्रयतः पठेत् ।
ऋणं न जायते तस्य श्रियं प्राप्नोत्यसंशयः ॥
अङ्गारक महीपुत्र भगवन् भक्तवत्सल ।
नमोऽस्तु ते ममाशेषं ऋणमाशु विनाशय ॥
रक्तगन्धैश्च पुष्पैश्च धूपदीपैर्गुडोदनैः ।
मङ्गलं पूजयित्वा तु मङ्गलाहनि सर्वदा ॥
एकविंशति नामानि पठित्वा तु तदन्तिके ।
ऋणरेखा प्रकर्तव्या अङ्गारेण तदग्रतः ॥
ताश्च प्रमार्जयेन्नित्यं वामपादेन संस्मरन् ।
एवं कृते न सन्देहः ऋणान्मुक्तः सुखी भवेत् ॥
महतीं श्रियमाप्नोति धनदेन समो भवेत् ।
भूमिं च लभते विद्वान् पुत्रानायुश्च विन्दति ॥