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प्रधानमंत्री मोदी का न्याय प्रणाली को विकसित भारत के लिए नया दृष्टिकोण

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने न्याय प्रणाली से जुड़े सभी लोगों से अपील की है कि वे विकसित भारत के लिए न्याय व्यवस्था की कल्पना करें। उन्होंने न्याय की गति, पारदर्शिता और सुलभता पर जोर दिया, साथ ही डिजिटल तकनीकों के उपयोग की आवश्यकता को भी बताया। जानें उनके विचार और न्याय प्रणाली में सुधार के लिए उनके सुझाव।
 

न्याय प्रणाली में सुधार की आवश्यकता

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने न्याय प्रणाली से जुड़े सभी व्यक्तियों से अपील की है कि वे विचार करें कि जब भारत एक विकसित राष्ट्र बनेगा, तब उसकी न्याय व्यवस्था कैसी होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि न्याय व्यवस्था की गति, पारदर्शिता और सुलभता विकसित भारत के लिए महत्वपूर्ण स्तंभ होंगे।



प्रधानमंत्री ने कहा कि जब हम विकसित भारत की दिशा में आगे बढ़ रहे हैं, तो मैं सभी कानूनी पेशेवरों, न्यायिक सेवाओं और न्याय वितरण प्रणाली से जुड़े लोगों से आग्रह करता हूं कि वे सोचें कि जब हम एक सच्चे विकसित राष्ट्र के रूप में खुद को देखेंगे, तब हमारी न्याय प्रणाली कैसी होगी।


उन्होंने यह भी बताया कि भारत की न्यायिक प्रणाली को जनसुलभ और आधुनिक तकनीक पर आधारित बनाना आवश्यक है, ताकि हर नागरिक को समय पर न्याय मिल सके। प्रधानमंत्री ने कहा कि डिजिटल अदालतों, ई-फाइलिंग और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के उपयोग से न्याय प्रणाली में पारदर्शिता और कार्यकुशलता में वृद्धि होगी।


प्रधानमंत्री मोदी ने यह भी कहा कि विकसित भारत के निर्माण में न्याय व्यवस्था की भूमिका केवल अदालतों तक सीमित नहीं है, बल्कि यह नागरिकों के अधिकारों, कर्तव्यों और न्याय के प्रति विश्वास को भी मजबूत करती है। उन्होंने कानूनी समुदाय से अनुरोध किया कि वे आने वाले वर्षों में ऐसी न्याय व्यवस्था का खाका तैयार करें जो न केवल तकनीकी रूप से उन्नत हो, बल्कि मानवीय संवेदनाओं और सामाजिक न्याय के आदर्शों पर भी आधारित हो।