अंतरराष्ट्रीय गीता महोत्सव में अंकिता की चित्रकारी से मिली पहचान
कुरुक्षेत्र: शौक को व्यवसाय में बदलने की प्रेरणा
कुरुक्षेत्र समाचार: जब कोई व्यक्ति अपने शौक को व्यवसाय में बदलता है, तो वह न केवल आनंद और आय प्राप्त करता है, बल्कि दूसरों के लिए प्रेरणा का स्रोत भी बनता है। मोरनी, पंचकूला की अंकिता ने इस बात को साबित किया है, जो अपनी चित्रकारी के साथ अंतरराष्ट्रीय गीता महोत्सव में शामिल हुई हैं।
अंकिता ने बताया कि उन्हें बचपन से पेंटिंग का शौक था। पढ़ाई के साथ-साथ उन्होंने पेंटिंग का अभ्यास जारी रखा और अपने कौशल को निखारा।
उनकी पेंटिंग की सराहना होने लगी और ऑर्डर आने लगे, जिससे उन्होंने अपने शौक को व्यवसाय में बदलने का निर्णय लिया। उन्होंने कहा कि इस कार्य में कई लोग उनका सहयोग कर रहे हैं।
इससे न केवल उन्हें रोजगार मिला, बल्कि दूसरों ने भी उनके उदाहरण से प्रेरित होकर अपने काम शुरू किए हैं।
गीता महोत्सव में उत्पादों की बिक्री का अनुभव
गीता महोत्सव में उत्पाद की बिक्री
गीता महोत्सव में यह अंकिता का पहला अनुभव है, जहां वह स्टॉल नंबर 23 पर अपने हाथों से बनाए गए उत्पादों की बिक्री कर रही हैं। अब तक आए नागरिकों ने उनके घर के उपयोगी सामान और पेंटिंग को बहुत पसंद किया है।
उन्होंने कहा कि इससे पहले वह कभी इतने बड़े कार्यक्रम में नहीं गई थीं। वर्तमान में उनके उत्पादों की बाजार में अच्छी मांग है और वे सोशल मीडिया के माध्यम से भी अच्छी आय कमा रही हैं।
यहां के अनुभव से उन्हें बहुत कुछ सीखने को मिलेगा और वे आने वाली गीता जयंती में और बेहतर लेकर आएंगी। उनके पास 20 प्रकार के सजावट के सामान और रंग-बिरंगी पेंटिंग उपलब्ध हैं।
इन सामानों को बनाने के लिए एमडीएफ बोर्ड का उपयोग किया जाता है, जिसमें मोल्डिंग का मिश्रण कर रोल बनाकर आकार दिया जाता है। फिर उस पर प्राइमर और रंग का काम किया जाता है। इस प्रक्रिया से वे हर महीने अच्छा मुनाफा कमा रही हैं। उनके पास 200 रुपये से लेकर 2000 रुपये तक की पेंटिंग और सजावट का सामान है।
शिल्पकार सिराज का स्टॉल
शिल्पकार सिराज के स्टॉल पर धूम
अंतरराष्ट्रीय गीता महोत्सव में शिल्पकार सिराज ने बिहार के भागलपुर से महिलाओं के लिए सिल्क की साड़ियां, सूट और दुपट्टे लाए हैं। ये उत्पाद एक हजार से लेकर पांच हजार रुपये तक के हैं। उन्होंने बताया कि वह पिछले कई वर्षों से इस महोत्सव में भाग ले रहे हैं।
यह महोत्सव उनके लिए विशेष है, क्योंकि पिछले वर्ष उन्होंने लगभग पांच लाख रुपये का सिल्क सामान बेचा था। यहां की महिलाएं उनके सिल्क के सूट, साड़ियों और दुपट्टों को बहुत पसंद करती हैं। एनजैडसीसी ने इस महोत्सव का मंच प्रदान किया है।
शिल्प मेले में स्टॉल नंबर 326 पर सिराज ने अपनी सिल्क शिल्पकला का प्रदर्शन किया है। उनके पास मटका सिल्क, टसर सिल्क, मुंगा सिल्क, रुआ टसर, और अन्य प्रकार के उत्पाद उपलब्ध हैं, जिनकी कीमत 100 रुपये से लेकर 5000 रुपये तक है।