उन्मुक्त चंद: विराट कोहली से ज्यादा प्रतिभाशाली, लेकिन BCCI की राजनीति ने किया करियर बर्बाद
भारतीय क्रिकेट में उन्मुक्त चंद की कहानी
BCCI ने "साम, दाम, दंड, भेद" की नीति अपनाकर उसके करियर को बर्बाद करने में कोई कसर नहीं छोड़ी। सोशल मीडिया पर प्रशंसक आज भी इस खिलाड़ी की कहानी को याद करते हैं और सवाल उठाते हैं कि उसे मौके क्यों नहीं दिए गए। आइए, इस रहस्य को उजागर करते हैं और जानते हैं कि वह कौन था, जिसका टैलेंट विराट कोहली से भी ऊपर था।
उन्मुक्त चंद: विराट कोहली से ज्यादा टैलेंटेड बल्लेबाज
BCCI की राजनीति और उन्मुक्त का पतन
उन्मुक्त चंद के करियर में BCCI की भूमिका हमेशा विवादास्पद रही। कई रिपोर्टों के अनुसार, BCCI ने "साम" (समझाने) से लेकर "दंड" (सजा) तक हर तरीका अपनाया। उन्मुक्त को रणजी ट्रॉफी में लगातार अच्छा प्रदर्शन करने के बावजूद सीनियर टीम में मौके नहीं मिले। 2014 में जब वे फॉर्म में थे, तो BCCI ने कथित तौर पर "दाम" (पैसे) और "भेद" (फूट डालने) की नीति अपनाकर उन्हें साइडलाइन कर दिया।
दिल्ली क्रिकेट एसोसिएशन (DDCA) में राजनीति के कारण उन्मुक्त को टीम से बाहर किया गया, और BCCI ने इसमें हस्तक्षेप नहीं किया। विराट कोहली की तरह उन्मुक्त को भी कप्तानी मिली, लेकिन BCCI की केंद्रीय अनुबंध सूची से उन्हें बाहर रखा गया, जिससे उनका मनोबल टूटा। अंततः, 2021 में उन्मुक्त चंद ने भारतीय क्रिकेट से संन्यास ले लिया और अमेरिका में खेलने चले गए।
उन्मुक्त चंद के करियर का दुखद अंत
उन्मुक्त चंद ने घरेलू क्रिकेट में 4500 से अधिक रन बनाए, लेकिन अंतरराष्ट्रीय स्तर पर केवल IPL और कुछ A टीम मैचों तक सीमित रह गए। BCCI पर आरोप लगे कि उन्होंने युवा खिलाड़ियों की जगह स्थापित सितारों को तरजीह दी, और उन्मुक्त जैसे प्रतिभाशाली खिलाड़ियों को नजरअंदाज किया। प्रशंसकों का मानना है कि BCCI की राजनीति ने उनका करियर बर्बाद कर दिया।
फैन्स का गुस्सा और भविष्य की सबक
उन्मुक्त चंद की कहानी ने प्रशंसकों में BCCI के प्रति गुस्सा पैदा किया है। कई पूर्व खिलाड़ी जैसे युवराज सिंह ने भी BCCI की चयन प्रक्रिया पर सवाल उठाए हैं। विराट कोहली जैसे सितारों की सफलता के पीछे BCCI का समर्थन था, लेकिन उन्मुक्त जैसे खिलाड़ियों को नजरअंदाज करने से क्रिकेट को नुकसान हुआ। सोशल मीडिया पर प्रशंसक कहते हैं कि अगर उन्मुक्त को मौका मिलता, तो वह विराट कोहली से भी बड़ा स्टार बन सकता था। क्या BCCI अब युवा प्रतिभाओं को संरक्षण देगी? यह सवाल आज भी प्रासंगिक है, और उन्मुक्त चंद की कहानी एक सबक है।