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कपिल देव का बड़ा बयान: कोचिंग से ज्यादा खिलाड़ियों का प्रबंधन है जरूरी

भारतीय क्रिकेट के दिग्गज कपिल देव ने हाल ही में एक महत्वपूर्ण बयान दिया है, जिसमें उन्होंने कहा कि आज के समय में कोच का असली कार्य खिलाड़ियों का प्रबंधन करना है। उन्होंने गौतम गंभीर के कोचिंग स्टाइल की सराहना करते हुए कहा कि कोचिंग का अर्थ बदल गया है। कपिल ने अपने अनुभव साझा करते हुए बताया कि कैसे एक कप्तान को खिलाड़ियों को प्रेरित करना चाहिए। जानें उनके विचार और क्रिकेट में कोचिंग की नई परिभाषा।
 

कपिल देव का महत्वपूर्ण बयान


नई दिल्ली: भारतीय क्रिकेट के महानतम कप्तानों में से एक कपिल देव ने हाल ही में एक महत्वपूर्ण टिप्पणी की है। उन्होंने कहा कि वर्तमान में टीम इंडिया के मुख्य कोच का कार्य केवल कोचिंग देना नहीं, बल्कि खिलाड़ियों का प्रबंधन करना अधिक महत्वपूर्ण है।


यह बयान कपिल देव ने गौतम गंभीर के कोचिंग तरीके पर चल रही चर्चा के बीच दिया। उन्होंने गंभीर के काम की सराहना करते हुए उनके प्रति समर्थन व्यक्त किया।


कपिल देव का चौंकाने वाला विचार

कपिल देव ने इंडियन चैंबर ऑफ कॉमर्स के एक कार्यक्रम में कहा कि आजकल 'कोच' शब्द का उपयोग बहुत सामान्य हो गया है, लेकिन इसका अर्थ बदल गया है। उनके अनुसार, गौतम गंभीर जैसे व्यक्ति कोच नहीं बन सकते, बल्कि वे टीम के प्रबंधक हो सकते हैं।


कपिल ने यह भी बताया कि स्कूल और कॉलेज के दिनों में जो कोच होते थे, वे खिलाड़ियों को सिखाते थे, लेकिन अंतरराष्ट्रीय स्तर पर खिलाड़ी पहले से ही अपनी क्षमताओं में निपुण होते हैं।


उदाहरण के माध्यम से समझाया

उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा, 'एक लेग स्पिनर या विकेटकीपर को कैसे कोचिंग दी जा सकती है? गौतम गंभीर उन्हें क्या सिखाएंगे?' कपिल का मानना है कि उच्च स्तर पर कोच का कार्य केवल खिलाड़ियों को प्रेरित करना और टीम को एकजुट रखना होता है।


मैनेजमेंट की आवश्यकता

कपिल देव के अनुसार, आज के कोच को खिलाड़ियों को प्रोत्साहित करना चाहिए। वे कहते हैं कि युवा खिलाड़ी प्रबंधक या कप्तान की ओर देखते हैं और उनसे उम्मीद करते हैं कि वे कहें, 'तुम कर सकते हो।' विशेष रूप से जब कोई खिलाड़ी खराब फॉर्म में हो, तो कोच या कप्तान का कार्य उसे आत्मविश्वास और आराम देना है।


कपिल देव की कप्तानी का अनुभव

कपिल ने अपनी कप्तानी के अनुभव को साझा करते हुए कहा कि वे अच्छे प्रदर्शन करने वाले खिलाड़ियों के साथ जश्न नहीं मनाते थे। यदि कोई खिलाड़ी सेंचुरी बनाता, तो वे उसके साथ समय नहीं बिताते, बल्कि उन खिलाड़ियों के साथ रहते जो फॉर्म में नहीं थे।


उनका मानना था कि ऐसे खिलाड़ियों को सबसे अधिक समर्थन की आवश्यकता होती है। कप्तान या प्रबंधक का असली कार्य टीम को मजबूत बनाना और हर खिलाड़ी को विश्वास दिलाना है।