कोच गंभीर की देशभक्ति की परिभाषा: चोटिल खिलाड़ियों को मजबूर करना
कोच गंभीर की विवादास्पद शैली
कोच गंभीर: भारतीय क्रिकेट टीम की इंग्लैंड के खिलाफ टेस्ट श्रृंखला अपने अंतिम चरण में है, लेकिन इस दौरान खिलाड़ियों की चोटों और प्रबंधन की जिद ने अधिक चर्चा बटोरी है। खासकर कोच गौतम गंभीर की सख्त शैली पर सवाल उठने लगे हैं।
गंभीर के ‘आक्रामक देशभक्ति’ के कारण दो प्रमुख खिलाड़ी चोटिल होने के बावजूद खेल में उतरे, जिससे न केवल उनका प्रदर्शन प्रभावित हुआ, बल्कि उनके करियर पर भी खतरा मंडरा सकता है। आइए जानते हैं ये खिलाड़ी कौन हैं।
पंत की चोट के बावजूद खेल में उतारना
पंत की स्थिति के बावजूद कोच ने उन्हें मैदान पर उतारा
आकाशदीप की चोट को नजरअंदाज किया गया
आकाशदीप की चोट भी छुपाई गई
इसी श्रृंखला में तेज गेंदबाज आकाशदीप की चोट को भी गंभीरता से नहीं लिया गया। मैनचेस्टर टेस्ट से पहले शुभमन गिल ने पुष्टि की कि आकाशदीप ग्रॉइन इंजरी से जूझ रहे हैं और इसलिए अंतिम मैच से बाहर हो गए हैं। फिर भी उन्हें अभ्यास सत्रों में मजबूर किया गया। कोच गंभीर ने खुद स्वीकार किया कि आकाशदीप इस दौरे की शुरुआत से ही चोटिल थे।
चौंकाने वाली बात यह है कि उन्हें शुरुआती मैचों में खेलने के लिए मजबूर किया गया। यह निर्णय न केवल खिलाड़ी की फिटनेस को दांव पर लगाने जैसा था, बल्कि टीम की दीर्घकालिक रणनीति पर भी सवाल उठाता है। चोट को नजरअंदाज कर खिलाड़ियों से खेलने की उम्मीद करना “देशभक्ति” के नाम पर उनके करियर की बलि देने जैसा है।
गंभीर की देशभक्ति पर सवाल
गंभीर की ‘आग वाली देशभक्ति’ और आलोचना
कोच गौतम गंभीर हमेशा अपने देश प्रेम और आक्रामक शैली के लिए जाने जाते हैं। उन्होंने कई बार कहा है कि “देश के लिए खेलना बलिदान मांगता है।” लेकिन क्या यह बलिदान व्यावसायिक खेल में चोटिल खिलाड़ियों को मजबूर करने तक जाना चाहिए?
पूर्व खिलाड़ियों और खेल विज्ञान से जुड़े विशेषज्ञों का मानना है कि कोच गंभीर का यह रवैया आक्रामकता की सीमा लांघ रहा है। यह जरूरी नहीं कि हर बार देशभक्ति दिखाने के लिए खिलाड़ी अपने शरीर को तोड़ें। सही प्रबंधन और दीर्घकालिक सोच के जरिए ही भारतीय टीम और खिलाड़ियों को बचाया जा सकता है।