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गौतम गंभीर ने शुभमन गिल की कप्तानी की सराहना की

गौतम गंभीर ने शुभमन गिल की कप्तानी की सराहना की है, जिसमें उन्होंने गिल की आलोचना करने वालों को जवाब दिया। गंभीर ने गिल के प्रदर्शन और उनकी मानसिकता की तारीफ की, यह बताते हुए कि कैसे गिल ने दबाव में भी अपने चेहरे पर मुस्कान बनाए रखी। जानें गिल की कप्तानी के बारे में और गंभीर की उनसे की गई बातचीत के बारे में।
 

गौतम गंभीर का शुभमन गिल पर बयान


गौतम गंभीर ने शुभमन गिल की कप्तानी पर विचार: भारतीय क्रिकेट में कप्तान और कोच की जोड़ी हमेशा चर्चा का विषय रही है। विराट कोहली और रवि शास्त्री, रोहित शर्मा और राहुल द्रविड़ के साथ अब शुभमन गिल और गौतम गंभीर की जोड़ी भी क्रिकेट इतिहास में अपनी पहचान बना रही है। जब शुभमन गिल ने इस वर्ष रोहित शर्मा, विराट कोहली और रविचंद्रन अश्विन के संन्यास के बाद टेस्ट टीम की कमान संभाली, तो कई सवाल उठे।


इस 26 वर्षीय युवा खिलाड़ी के सामने इंग्लैंड में चुनौती थी। लेकिन गिल ने न केवल बल्ले से शानदार प्रदर्शन किया, बल्कि अपनी कप्तानी से भी सभी को प्रभावित किया। उन्होंने पांच टेस्ट मैचों में 754 रन बनाकर भारत को 2-2 की बराबरी पर सीरीज समाप्त करने में मदद की।


गौतम गंभीर का गिल के प्रति समर्थन

टीम इंडिया के मुख्य कोच गौतम गंभीर ने गिल की आलोचना करने वालों को जवाब दिया। स्टार स्पोर्ट्स को दिए एक इंटरव्यू में गंभीर ने कहा, "गिल के खिलाफ जो बातें कही गईं, वे गलत थीं। एक 24-25 साल के युवा से आप क्या उम्मीद करते हैं? कि उसका औसत 50 से ज्यादा हो और उसने हर जगह रन बनाए हों? यह सब समय के साथ होगा।"


गंभीर ने गिल की प्रशंसा करते हुए कहा, "मुझे कभी आश्चर्य नहीं हुआ कि गिल ने 750 रन बनाए। मुझे खुशी इस बात की थी कि उन्होंने जिस तरह टीम की अगुवाई की, वह प्रशंसनीय थी। दबाव के क्षणों में भी गिल ने अपने चेहरे पर न तो हताशा दिखाई और न ही तनाव। वे हमेशा मुस्कुराते हुए मैदान पर नजर आए। वे इस सम्मान के पूरी तरह हकदार हैं।"


गिल को दी गई चुनौती

गंभीर ने उस बातचीत का भी उल्लेख किया जो उन्होंने गिल के साथ तब की थी, जब उन्हें टेस्ट कप्तान बनाया गया था। गंभीर ने कहा, "मैंने गिल से स्पष्ट कहा था कि हमने तुम्हें गहरे समुद्र में फेंक दिया है। अब तुम्हारे पास दो रास्ते हैं- या तो डूब जाओ या फिर विश्व स्तरीय खिलाड़ी बनकर उभरो। टीम और सपोर्ट स्टाफ पर दबाव था लेकिन गिल उससे भी ज्यादा दबाव में थे। फिर भी उन्होंने कभी अपनी निराशा चेहरे पर नहीं आने दी।"