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राजगीर खेल अकादमी को मिलेगी एशियाई हॉकी महासंघ की मान्यता

राजगीर खेल अकादमी को एशियाई हॉकी महासंघ द्वारा मान्यता मिलने की संभावना है, जिससे अंतर्राष्ट्रीय हॉकी महासंघ का समर्थन भी प्राप्त होगा। हाल ही में आयोजित एक गोष्ठी में हॉकी के विकास पर चर्चा की गई, जिसमें खेल विज्ञान, तकनीकी और महिला हॉकी के विकास पर सुझाव दिए गए। बिहार सरकार ने युवा खिलाड़ियों को प्रोत्साहित करने के लिए खेल छात्रवृत्ति योजना भी शुरू की है। जानें इस महत्वपूर्ण विषय पर और क्या कहा गया।
 

राजगीर खेल अकादमी की मान्यता

राजगीर स्थित राज्य खेल अकादमी को एशियाई हॉकी महासंघ द्वारा मान्यता मिलने की सूचना है। इसके साथ ही, अंतर्राष्ट्रीय हॉकी महासंघ भी इसका समर्थन करेगा। इस संदर्भ में, खेल विभाग और बिहार सरकार ने राज्य खेल प्राधिकरण के सहयोग से राजगीर खेल अकादमी के हॉल में 'ग्रासरूट टू ग्लोरी-ऑल अबॉउट हॉकी' विषय पर एक विचार गोष्ठी का आयोजन किया। इस अवसर पर, अंतर्राष्ट्रीय हॉकी महासंघ के अध्यक्ष डॉ. तैयब एकराम ने यह जानकारी साझा की।


हॉकी के विकास पर विचार

गोष्ठी के दौरान, बिहार और पूरे देश में हॉकी के विकास पर चर्चा की गई। इसमें खेल विज्ञान, तकनीकी, प्रशिक्षण, बुनियादी स्तर पर इकोसिस्टम, हॉकी के पुनरुद्धार में सरकार की भूमिका और महिला हॉकी के विकास पर सुझाव दिए गए।


प्रतिभा की पहचान

इस कार्यक्रम का संचालन बिहार राज्य खेल प्राधिकरण के महानिदेशक रवीन्द्रण शंकरण ने किया। उन्होंने डॉ. तैयब से पूछा कि भारत के प्रशिक्षक यूरोप से क्यों हैं। इसके जवाब में डॉ. तैयब ने कहा कि हमारे पास प्रतिभा की कमी नहीं है, लेकिन हमें उन्हें पहचानकर आर्थिक रूप से सशक्त बनाना होगा। इसके साथ ही, उन्हें उचित सुविधाएं भी प्रदान करनी होंगी।


'ग्रासरूट टू ग्लोरी' का महत्व

शंकरण ने बिहार में आयोजित विश्व की सबसे बड़ी खेल प्रतिभा खोज प्रतियोगिता मशाल का उल्लेख किया। उन्होंने डॉ. तैयब से पूछा कि अंतरराष्ट्रीय हॉकी महासंघ इस दिशा में क्या कर रहा है। डॉ. तैयब ने कहा कि 'ग्रासरूट टू ग्लोरी' का विचार सही है, लेकिन खेल दर्शन में उच्च स्तर से निचले स्तर तक बदलाव लाने की आवश्यकता है। तभी सही प्रतिभा सामने आएगी।


खेल छात्रवृत्ति योजना

शंकरण ने बताया कि बिहार सरकार खेल और खिलाड़ियों के समग्र विकास के लिए प्रयासरत है। इसी कारण, बिहार खेल के क्षेत्र में नई ऊंचाइयों को छू रहा है। युवा खिलाड़ियों को प्रोत्साहित करने के लिए खेल छात्रवृत्ति योजना शुरू की गई है, जिसके तहत 3 लाख रुपये तक की सहायता किट खरीदने, बेहतर पोषण और प्रशिक्षण के खर्च के लिए दी जाती है। हीरो एशिया कप में कई बच्चे बॉल बॉय और बॉल गर्ल्स की भूमिका निभा रहे हैं। इनमें से कोई भी युवा भविष्य में देश का अगला कप्तान बन सकता है।