विराट कोहली और शिखर धवन के बीच विवाद: 2014-15 की ऑस्ट्रेलिया टेस्ट सीरीज की कहानी
भारतीय क्रिकेट का महत्वपूर्ण मोड़
नई दिल्ली: भारतीय क्रिकेट में 2014-15 की ऑस्ट्रेलिया टेस्ट श्रृंखला एक महत्वपूर्ण मोड़ साबित हुई। यह वह समय था जब एमएस धोनी ने टेस्ट कप्तानी को अलविदा कहा और विराट कोहली ने एक नई ऊर्जा के साथ कप्तानी संभाली। एक कप्तान चुपचाप विदाई ले रहा था, जबकि दूसरा भारतीय क्रिकेट में आक्रामकता का नया अध्याय लिख रहा था।
ड्रेसिंग रूम में तनाव
मैदान पर सभी की नजरें थीं, लेकिन ड्रेसिंग रूम में कुछ और ही चल रहा था। ब्रिस्बेन में भारत की चार विकेट से हार के बाद टीम में तनाव की खबरें फैलने लगीं। शिखर धवन और विराट कोहली के बीच कथित विवाद की अफवाहें उड़ीं।
ब्रिस्बेन टेस्ट की घटनाएँ
2014-15 की श्रृंखला के दूसरे टेस्ट में भारत को हार का सामना करना पड़ा। मैच के चौथे दिन शिखर धवन को हाथ में चोट लगी और उन्हें रिटायर हर्ट होना पड़ा। अचानक विराट कोहली को बल्लेबाजी के लिए आना पड़ा। टीम 2-0 से पीछे थी और मीडिया में यह चर्चा होने लगी कि धवन की चोट के कारण कोहली नाराज हो गए।
रिपोर्टों के अनुसार, दोनों के बीच ड्रेसिंग रूम में तीखी बहस हुई, जिससे टीम का माहौल खराब हो गया। ये अफवाहें सोशल मीडिया पर तेजी से फैल गईं। हालांकि, इस कठिन समय में एमएस धोनी ने अपनी शांत नेतृत्व शैली से स्थिति को संभाला।
धोनी की चतुराई
शिखर धवन ने अपनी किताब 'शिखर धवन- द वन' में इस घटना का उल्लेख किया है। किताब में बताया गया है कि धोनी ने अफवाहों को शांत करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। जब धवन चोटिल हुए, तो विराट ने पारी को आगे बढ़ाया, लेकिन बाहर यह चर्चा थी कि धवन ने अंतिम समय में निर्णय लिया, जिससे कोहली नाराज हो गए।
जब प्रेस कॉन्फ्रेंस में इस विवाद के बारे में पूछा गया, तो उन्होंने मजाक में कहा, "जिसने भी यह जानकारी दी है, वह मार्वल या वॉर्नर ब्रदर्स की सुपरहीरो फिल्म लिखने लायक है।" बस यही एक वाक्य काफी था। अफवाहें थम गईं और टीम फिर से एकजुट हो गई।
धवन की सीख
शिखर धवन, जिन्होंने पिछले साल अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट से संन्यास लिया, ने इस घटना से बहुत कुछ सीखा। उन्होंने अपनी किताब में लिखा, "पत्रकार का काम कहानी लिखना है, इसलिए मैं इन पर ध्यान नहीं देता। मैंने अपने करियर में ऐसी बातों को कभी दिल से नहीं लिया।"