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संग्राम सिंह: 40 की उम्र में MMA में नई चुनौती का सामना करने के लिए तैयार

संग्राम सिंह, जो 40 की उम्र में MMA में उतरने के लिए तैयार हैं, ने अपनी प्रेरणादायक यात्रा साझा की है। उन्होंने बताया कि कैसे उन्होंने रुमेटीइड गठिया से जूझते हुए भी अपने सपनों को पूरा किया। संग्राम का मानना है कि उम्र केवल एक संख्या है और शाकाहारी भोजन उनकी ताकत है। उनकी कहानी युवा एथलीटों के लिए एक प्रेरणा है, जो सोचते हैं कि उनकी सफलता की उम्र खत्म हो गई है। जानें उनके आगामी पोलैंड टूर्नामेंट के बारे में और कैसे वह सीमाओं को तोड़ने का प्रयास कर रहे हैं।
 

संग्राम सिंह का MMA में नया सफर

जब अधिकांश लोग 40 की उम्र में रिटायरमेंट की योजना बनाते हैं, तब 'फिट इंडिया आइकन' और कॉमनवेल्थ हैवीवेट चैंपियन संग्राम सिंह एक बार फिर से मिक्स्ड मार्शल आर्ट्स (MMA) के चुनौतीपूर्ण रिंग में उतरने के लिए तैयार हैं। उन्होंने घोषणा की है कि वह पोलैंड में आयोजित होने वाले एक अंतरराष्ट्रीय टूर्नामेंट में 83-90 किलोग्राम श्रेणी में भाग लेंगे। संग्राम ने 40 वर्ष की आयु में MMA में प्रतिस्पर्धा करने वाले पहले फाइटर बनकर इतिहास रच दिया है। वह अंतरराष्ट्रीय MMA फाइट जीतने वाले पहले भारतीय पुरुष पहलवान भी हैं। उनका यह कदम प्रोफेशनल फाइटिंग में उम्र के प्रति बनी पूर्वधारणा को तोड़ने का एक महत्वपूर्ण प्रयास है।
पहले, जब संग्राम ने जॉर्जिया में अपने MMA करियर की शुरुआत की थी, तो उन्होंने पाकिस्तान के एक फाइटर को केवल 90 सेकंड में हराया था। यह जीत इस बात का प्रमाण है कि एथलेटिक उत्कृष्टता की कोई उम्र नहीं होती। अपनी ट्रेनिंग के दौरान संग्राम ने कहा, "जब आपके अंदर का जुनून हार मानने से इनकार करता है, तो उम्र केवल एक संख्या बनकर रह जाती है। जब मैं 40 की उम्र में जॉर्जिया में उस ऑक्टागन में उतरा, और अपने से 17 साल छोटे फाइटर से लड़ा, तो मैं सिर्फ अपने लिए नहीं लड़ रहा था... मैं 20, 30 और 40 की उम्र के हर सपने देखने वाले को यह दिखाने के लिए लड़ रहा था कि उनका समय खत्म नहीं हुआ है, बल्कि अभी तो शुरू हुआ है। पोलैंड का यह टूर्नामेंट मेरी कहानी का दूसरा अध्याय है, अंतिम नहीं।"
रोहतक में जन्मे इस एथलीट का सफर हर पीढ़ी के खिलाड़ियों के लिए प्रेरणा का स्रोत है। एक समय था जब संग्राम रुमेटीइड गठिया के कारण व्हीलचेयर पर थे, और वहां से उठकर अंतरराष्ट्रीय MMA में सफलता पाना 'फिट इंडिया' आंदोलन की असली भावना को दर्शाता है, जिसके वह स्वयं ब्रांड एम्बेसडर हैं।
शाकाहारी भोजन की शक्ति
लड़ाकू खेलों में शाकाहारी भोजन को लेकर बनी गलतफहमियों को दूर करते हुए संग्राम ने बताया, "मेरा शाकाहारी होना मेरी कमजोरी नहीं, बल्कि मेरी सबसे बड़ी ताकत है।" उन्होंने आगे कहा, "हर दाल, हर सब्जी, और सुबह का घी और अश्वगंधा न केवल मेरी मांसपेशियों को ताकत देते हैं, बल्कि मेरे उस मिशन को भी बढ़ावा देते हैं, जिसमें मुझे यह साबित करना है कि भारतीय परंपराएं दुनिया के मंच पर हावी हो सकती हैं।"
संग्राम की यह आगामी फाइट केवल उनकी व्यक्तिगत उपलब्धि नहीं है, बल्कि यह पूरे खेल समुदाय के लिए एक मिसाल है। उनकी कहानी विशेष रूप से उन युवा एथलीटों के दिलों को छूती है जो अक्सर एक निश्चित उम्र तक 'सफल' होने के दबाव में रहते हैं। संग्राम ने कहा, "मैं 25 साल के युवाओं से मिलता हूं जो सोचते हैं कि उनके एथलेटिक सपने खत्म हो गए हैं क्योंकि वे अभी तक 'सफल' नहीं हुए हैं। मैं चाहता हूं कि वे मुझे 40 की उम्र में पोलैंड के उस पिंजरे में उतरते हुए देखें और समझें कि उनका सफर तो अभी शुरू हुआ है।"
संग्राम सिंह की ट्रेनिंग में पारंपरिक भारतीय कुश्ती की तकनीक और आधुनिक MMA की कंडीशनिंग का अनोखा मिश्रण शामिल है, और यह सब कुछ उनके शुद्ध शाकाहारी भोजन पर आधारित है, जिसमें रोटियां, मौसमी सब्जियां और आयुर्वेदिक सप्लीमेंट्स शामिल हैं। उन्होंने अंत में कहा, “यह पोलैंड में सिर्फ एक व्यक्ति की लड़ाई नहीं है... यह हर उस एथलीट के लिए कहानी को फिर से लिखने की लड़ाई है, जिसे यह कहा गया है कि तुम बहुत बूढ़े हो चुके हो, बहुत अलग हो, या बहुत देर कर चुके हो। जब मैं उस ऑक्टागन में कदम रखूंगा, तो मैं उन लाखों लोगों के सपनों को अपने साथ लेकर जाऊंगा जो सीमाओं को मानने से इनकार करते हैं।”