Israel-Gaza संघर्ष: क्या हमास की शर्तें युद्ध समाप्ति का रास्ता खोलेंगी?
इजरायल के विदेश मंत्री का महत्वपूर्ण बयान
Israel-Gaza war: इजरायल के विदेश मंत्री गिदोन सार ने यरुशलम में एक महत्वपूर्ण बयान में कहा कि गाजा में चल रहे युद्ध का अंत तभी होगा जब हमास अपने बंधकों को छोड़ देगा और अपने हथियार डाल देगा। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि युद्ध समाप्त करने के लिए फिलिस्तीनी उग्रवादी संगठन हमास को अपनी सेनाओं को वापस बुलाने और संघर्ष समाप्त करने पर सहमत होना होगा। यह बयान हमास द्वारा दिए गए उन शर्तों के जवाब में आया है, जिसमें उन्होंने बंधकों की रिहाई की पेशकश की थी, यदि इजरायल युद्ध समाप्त करने के लिए तैयार हो।
दोनों पक्षों के बीच अविश्वास
दो विरोधी पक्षों की शर्तें
गिदोन सार का यह बयान युद्ध समाप्ति की शर्तों को स्पष्ट करता है, लेकिन इसके साथ ही दोनों पक्षों के बीच गहरा अविश्वास भी उजागर करता है। हमास की मांगें और इजरायल की शर्तें एक-दूसरे से पूरी तरह भिन्न हैं, जिससे शांति वार्ता और मध्यस्थता की प्रक्रिया जटिल हो जाती है। इस बयान से क्षेत्रीय और वैश्विक कूटनीतिक प्रयासों में नई चर्चाएं और संभावनाएं उत्पन्न हो सकती हैं, लेकिन इसके लिए दोनों पक्षों को आपसी विश्वास की आवश्यकता होगी.
गाजा शहर से लोगों का विस्थापन
गाजा शहर को खाली करने के आदेश
इसी बीच, इजरायली सेना ने गाजा शहर में रहने वाले फिलिस्तीनी नागरिकों को आदेश दिया है कि वे शहर छोड़कर दक्षिण में स्थित सुरक्षित क्षेत्रों में चले जाएं। इस आदेश के साथ ही सेना ने गाजा के बहुमंजिला इमारतों को निशाना बनाना शुरू कर दिया है। इस कदम के कारण मानवीय संकट और भी गंभीर हो गया है। सहायता संगठनों ने चेतावनी दी है कि गाजा से बड़े पैमाने पर लोगों का विस्थापन खाद्य संकट और अन्य मानवीय समस्याओं को और बढ़ा सकता है.
गाजा में खाद्य संकट की गंभीरता
गाजा में खाद्य संकट
गाजा में जारी संघर्ष के कारण खाद्य संकट बेहद गंभीर हो चुका है और इसे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अकालग्रस्त क्षेत्र घोषित किया गया है। पिछले लगभग दो वर्षों से युद्ध के कारण हजारों परिवार बार-बार विस्थापित हो चुके हैं। इन परिवारों के लिए सुरक्षित ठिकाना मिलना मुश्किल हो गया है क्योंकि इजरायली सेना ने कई बार उन इलाकों पर भी बमबारी की है जिन्हें मानवीय क्षेत्र घोषित किया गया था। ऐसे में गाजा के लोग अपने लिए सुरक्षित स्थान की तलाश में हैं, लेकिन लगातार बमबारी और संघर्ष के कारण उनके सामने विकल्प कम होते जा रहे हैं.