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ओडिशा में पीएम मोदी के जन्मदिन पर 75 लाख पौधों का रोपण

ओडिशा ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 75वें जन्मदिन को खास बनाने के लिए 17 सितंबर को 75 लाख पौधों का रोपण करने का निर्णय लिया है। यह सामूहिक अभियान छात्रों, युवाओं और आम नागरिकों की भागीदारी के साथ प्रकृति और पर्यावरण को समर्पित है। मुख्यमंत्री मोहन चरण माझी ने इसे मोदी के लिए एक 'हरित उपहार' बताया है। जानें इस पहल के पीछे का उद्देश्य और इसके संभावित लाभ।
 

प्रधानमंत्री मोदी का जन्मदिन और ओडिशा की पहल

प्रधानमंत्री मोदी का 75वां जन्मदिन: ओडिशा ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के जन्मदिन को खास बनाने के लिए एक अनूठी योजना बनाई है। राज्य सरकार ने 17 सितंबर को एक ही दिन में 75 लाख पौधे लगाने का निर्णय लिया है। यह एक सामूहिक अभियान है, जो प्रकृति और पर्यावरण को समर्पित है, जिसमें छात्रों, युवाओं, महिलाओं, निजी संगठनों और आम नागरिकों की भागीदारी सुनिश्चित की गई है।


मुख्यमंत्री का संदेश

मुख्यमंत्री मोहन चरण माझी ने इस महत्वाकांक्षी योजना की तैयारियों की समीक्षा करते हुए इसे प्रधानमंत्री मोदी के लिए एक विशेष 'हरित उपहार' बताया। उन्होंने कहा कि मोदी का दृष्टिकोण केवल विकास तक सीमित नहीं है, बल्कि यह प्रकृति के संरक्षण और सतत भविष्य के निर्माण से भी जुड़ा है।


'एक पेड़ मां के नाम' अभियान

पिछले साल शुरू हुए 'एक पेड़ मां के नाम' अभियान को आगे बढ़ाते हुए ओडिशा ने अब तक 6.72 करोड़ पौधे लगाने का रिकॉर्ड बनाया है। इस बार 75 लाख पौधों का यह सामूहिक संकल्प पर्यावरण को सुधारने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है, और यह दर्शाता है कि जब जनता और सरकार एक साथ आती हैं, तो बदलाव संभव है।


हरित अभियान का उद्देश्य

ओडिशा सरकार का यह कदम प्रधानमंत्री के दृष्टिकोण को स्थानीय स्तर पर लागू करने का प्रयास है। पौधारोपण में ग्रामीण और शहरी दोनों क्षेत्रों को शामिल किया जाएगा। छात्रों और स्वयंसेवी संगठनों की सक्रिय भागीदारी से यह अभियान एक जन आंदोलन का रूप लेगा।


हरियाली की दिशा में कदम

ओडिशा ने पिछले वर्ष पीएम मोदी के 'एक पेड़ मां के नाम' अभियान को राज्यव्यापी जनांदोलन बना दिया था। इसने न केवल वनों के क्षेत्रफल को बढ़ाया बल्कि पर्यावरण संरक्षण के प्रति जागरूकता भी बढ़ाई।


जनता की भागीदारी का महत्व

सरकार का मानना है कि किसी भी बड़े अभियान की सफलता जनता की भागीदारी पर निर्भर करती है। महिलाओं, युवाओं और छात्रों को जोड़कर इसे एक 'हरित त्योहार' का रूप दिया गया है।


विशेषज्ञों का कहना है कि यह पहल जलवायु परिवर्तन से निपटने, प्रदूषण को कम करने और जैव विविधता को बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी। ओडिशा का यह अभियान आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रकृति का अनमोल उपहार साबित होगा।