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कैरेबियन का समृद्ध राष्ट्र: त्रिनिदाद एंड टोबैगो की आर्थिक सफलता के रहस्य

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की त्रिनिदाद एंड टोबैगो यात्रा ने इस छोटे से कैरेबियाई देश की समृद्धि के रहस्यों को उजागर किया है। 15 लाख की आबादी वाला यह देश, उच्च साक्षरता दर, मजबूत ऊर्जा क्षेत्र और भारतीय मूल के लोगों की महत्वपूर्ण भूमिका के कारण समृद्ध बना है। जानें कैसे 1970 के दशक में शुरू हुई आर्थिक क्रांति, शिक्षा और कौशल विकास ने इसे आत्मनिर्भर बनाया। इसके अलावा, अंतरराष्ट्रीय सहयोग और भौगोलिक स्थिति ने भी इस देश की समृद्धि में योगदान दिया है।
 

प्रधानमंत्री मोदी की त्रिनिदाद एंड टोबैगो यात्रा

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इन दिनों विदेश यात्रा पर हैं और घाना के बाद उन्होंने त्रिनिदाद एंड टोबैगो का दौरा किया, जहां उनका भव्य स्वागत हुआ। इस कैरेबियाई देश की जनसंख्या केवल 15 लाख है, लेकिन यह क्षेत्र का सबसे समृद्ध राष्ट्र है और वर्ल्ड बैंक की सूची में इसे उच्च आय वाले देशों में रखा गया है। यह जानना दिलचस्प है कि इतना छोटा देश इतनी समृद्धि कैसे प्राप्त कर सका?


आर्थिक ताकत का स्रोत

त्रिनिदाद एंड टोबैगो दो द्वीपों का समूह है, लेकिन इसकी आर्थिक स्थिति अत्यंत प्रभावशाली है। यहां की साक्षरता दर 98.6% है, और इसका मजबूत ऊर्जा क्षेत्र, आधुनिक उद्योग और भारतीय मूल के लोगों की महत्वपूर्ण भूमिका इसे समृद्ध और आत्मनिर्भर बनाती है। पीएम मोदी की यात्रा के माध्यम से हम इस देश की समृद्धि के पीछे के कारणों को समझ सकते हैं।


तेल और गैस: समृद्धि की कुंजी

इस देश की अर्थव्यवस्था का मुख्य आधार तेल और प्राकृतिक गैस है। त्रिनिदाद एंड टोबैगो कैरेबियाई क्षेत्र में सबसे बड़ा तेल और गैस उत्पादक है, जो अमेरिका, यूरोप और भारत जैसे देशों को निर्यात करता है। इसके अलावा, यह अमोनिया, मेथेनॉल और यूरिया जैसे रसायनों का भी प्रमुख उत्पादक है।


1970 के दशक में आर्थिक क्रांति

त्रिनिदाद एंड टोबैगो की आर्थिक प्रगति की शुरुआत 1970 के दशक में हुई, जब सरकार ने उद्योग आधारित अर्थव्यवस्था को प्राथमिकता दी। तेल और गैस से होने वाली आय को बुनियादी ढांचे, रिफाइनरी और ऊर्जा संयंत्रों में निवेश किया गया, जिससे उत्पादन क्षमता में उल्लेखनीय वृद्धि हुई।


शिक्षा और कौशल विकास पर जोर

सरकार ने विदेशी निवेश को आकर्षित करने के साथ-साथ शिक्षा और तकनीकी कौशल में भी भारी निवेश किया। शिक्षा को प्राथमिकता देने से साक्षरता दर 98.6% तक पहुंच गई और युवाओं को पेशेवर प्रशिक्षण देकर तकनीकी क्षेत्र में आगे बढ़ाया गया। इससे 'ब्रेन ड्रेन' की बजाय 'ब्रेन गेन' की संस्कृति विकसित हुई।


अंतरराष्ट्रीय सहयोग से मिली मजबूती

त्रिनिदाद एंड टोबैगो ने IMF और वर्ल्ड बैंक के सहयोग से अपने आर्थिक ढांचे को मजबूत किया। वैश्विक सहयोग से नीति-निर्माण में सुधार हुआ, जिससे निवेशकों का विश्वास बढ़ा और विकास की गति तेज हुई।


भौगोलिक स्थिति का लाभ

इस देश की भौगोलिक स्थिति भी इसकी समृद्धि में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। यह दक्षिण अमेरिका और कैरेबियाई सागर के बीच स्थित है, जो इसे समुद्री व्यापार, ऊर्जा पाइपलाइनों और वैश्विक कनेक्टिविटी के लिए एक आदर्श केंद्र बनाता है।


भारतीय मूल के लोगों का योगदान

त्रिनिदाद एंड टोबैगो की राजनीति, प्रशासन और समाज में भारतीय मूल के लोगों का महत्वपूर्ण योगदान है। 1845 में बंधुआ मजदूर के रूप में आए भारतीय आज देश की सत्ता में हैं। वर्तमान राष्ट्रपति क्रिस्टीन कार्ला कंगालू और प्रधानमंत्री कमला प्रसाद बिसेसर दोनों ही भारतीय मूल की हैं। कमला प्रसाद बिसेसर 2010 में इस पद तक पहुंचने वाली पहली भारतीय मूल की महिला थीं।